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श्री नामनाथ अरिहंत, तिनके १७, गणधर, और, १७, गच्छ. आवश्यकादौ.. . :.": (२२) .... . .. "श्री अरिष्टनेमि अरिहंत, तिनके ११, गणधर, - और, ११, गच्छ. आवश्यकादौं....... अइन तीर्थकरके समयमें बारांवर्षीय दुर्भिक्ष काल पडाथा, यह कथन श्री महानिशीथ सूत्रमें है. तिस
समय गौतम ऋषि, मगधदेशमें रहताथा. तिसदेश .. में वेदांत मानने वाले लोक, गौतमके पास रहने
लगे, तव परस्पर गौतमके परिवार वाले, और वेदांत ... मानने वाले ब्राह्मणोंकी, ईर्षी उत्पन्न हुई. तब गौः
तमके परिवार वाले गौतमसे कहने लगेकि, यह
वेदांत मानने वाले, अपने मनमें वेदांतका बहुत .. - घमंड रखते है, और हमारी बहुत निंदा करते है.. - तब गोतमन वेदांत खंडन करने वास्ते, न्याय सूत्र . रचे, और तिनसे वेदांतका खंडन कीया. यह नैयाः ।
यिकमत, वेदवेदांतका प्रतिपक्षी है.. ब-व्यासजी, जौ कि, कृष्ण द्धपायन नामकेसे प्र..
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