________________
( २६ )
नामक बहुत रूपवती बेटी थी. तिस खुलासाका स्व: यंवर, उसके पिता अयोधन नामा राजाने करा. उहाँ और सर्व राजे बुलवाये. तिन सर्व राजा ओस सगर राजा अधिक था. तिस सगर राजाकी मंदोदरी नामा रणवासकी दरवाजेदार सगरकी आज्ञा से प्र तिदिन अयोधन राजा के आवास में जाती हुई. एक दिन दिति घरके बागके कदली घरमें गई. और सुलसाके साथ मंदोदरी भी तहां आगई. मंदोदरी, दिति और सुलसाकी बातां सुननेके वास्ते तहां छिप गइ. दिति सुलसाको कहने लगी है बेटी ? मेरे म नमें इस तेरे स्वयंवर में बडा शल्य है, तिसका उद्धार करना तेरे अधीन है, इस वास्ते तुं मूलसें सुनले.
श्री ऋषभदेव स्वामी के वेटोंमें भरत, और बाहुबली यह दो पुत्र हुआ, तिनमें भरतका पुत्र सूर्ययश, और बाहुबलीका चंद्रयश, जीनोसें सूर्यवंश, और चंद्रवंश चले है. चंद्रवंशमें मेरा भाइ तृणबिंदु नामा हुआ, और सूर्यवंशमे तेरा पिता राजा अयोधन हुआ. अयोधन राजाकी बहिन सत्ययशा नामा तृणबिंदुकी भार्या हूइ, तिसका बेटा मधुपिंगलनामामेरा मत्रीजा. इस वास्ते हे सुंदरी ! मैं तेरेको तिस मधुपिंगलको
1