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________________ ___ २६ जनहितोपदेश भाग ३ जो.. ध्यानवृष्टेर्दया नद्याः, शमपूरे प्रसर्पति ॥ विकारतीरवृक्षाणां, मूलादुन्मूलनं भवेत् ॥ ४ ज्ञानध्यान तपः शील, सम्यक्त्व सहितो ऽप्यहो । तं नामोति गुणं साधु, यं प्राप्नोति शमान्वितः॥ ५.!! स्वयंभूरमणस्पर्द्धि, वर्द्धिष्णु समता रसः॥ मुनिर्येनोपमीयेत, कोपिनासौ चराचरे ॥ ६॥ शमसूक्त सुधासिक्तं, येषां नक्तं दिनं मनः ॥ कदापि ते न दह्यन्ते, रागोरगविषोमिभिः ॥ ७ ॥ गर्जद्ज्ञान गजोत्तुंग, रंगद् ध्यान तुरंगमाः॥ जयन्ति मुनिराजस्य, शमसाम्राज्य संपदः ॥ ८॥ ॥ रहस्यार्थ ॥ १ संकल्प विकल्पने शमावी आत्माने सहज शीतलता सदा आपनार एवा शमगुणने सम्यग् ज्ञानना उत्तम फलरुपे ज्ञानी पुरुषोए वखाणेल छे. उपशमवंत विविध विकल्प जाळथी मुक्त होइ शके एवा परिपक ज्ञानना बलथी सहज स्वहित साधी शके छ..
SR No.010503
Book TitleJain Hitopadesh Part 2 and 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKarpurvijay
PublisherJain Shreyaskar Mandal Mahesana
Publication Year1908
Total Pages425
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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