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श्री जनहितोपदेश भांग जो.. पाँच अनुत्तर विमान तथा सिदसौला रहेली 2. अयो लोकमां व्यतर, प्राणज्यतर,२०, भुवनपति, सजासात नर्क वीओ रहेली में, अंने तीछ लोकमाँ असंख्याता दीप तथा असंख्याता सिमंद्र, जंबुद्वीपनी फरता क्लयाकारें आवी रहेंला छे. आभावनाथी-सम: कितनी हताथाय छे................:, .. .. .११ बोधि दुर्लभ-इंद्र के चक्रवर्ती जेवी संपत्ति करता पण जीबने आ संसार चक्रमा भमतो समकित रत्ननी प्राप्ति थवी परम दुर्लभ छे. शुद्ध देवगुरु अने धर्मर्नु स्वरुप. यथार्थ जाणवायी अने जाणीने तेने सम्यग् आदरवायीज सम्यक्त्व गुणनी प्राप्ति थह शके छ, समकितवंतनीज सर्व करणी लेखे पडे छे-मोक्ष महाफळने आपे छ, एम समजीने मोक्षार्थी सज्जनोए प्रथम समकितनीज भावना हद करवानी जरूर छे. शम, संवेग, निर्वेद, अनुकंपा, अने आस्तिकता ए पांच समकितनां श्रेष्ट लक्षण छे. समकितवंतनुं ज्ञान यथार्य होय छे. तेथी ते हिताहित, लाभालाभ, अने भक्ष्याभक्ष्यादिने यथार्थ समजे छे. - १२ अरिहंत भाषित धर्म-राग, द्वेष अने मोहादिक सर्व दोष रहित सर्वज्ञ प्रभुनी सातिशय वाणीयी अनेक जीवोना हृद्गत संशयोनो उच्छेद थइ जाय छे अने तेथी, अनेक भव्यो सपरहित साधवाने सन्मुख थाप केएकांत हितकारी प्र.