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( ६ ) पानी अग्निमें, जीवा चौथौ वायु काय । एक एक काया मध्ये , जौवा काल असंख्याता जाय। जीवा० ॥३॥ पांचवौं काया वनस्पती, जौवा साधारण प्रत्येक । साधारणमें तू बस्या, नौवा ते सांभली सुविवेक । जौवा० ॥ ४ ॥ सूई अग्र निगोद में, जौवा श्रेणी पसंख्याली जाण । असङ्गता प्रतर एक श्रेणी में, जौवा इमि गोला असंख्य प्रमाण । जौवा० ॥ ५ ॥ एक एक गोला मध्य, जौवा शगैरअसंख्याता जागा । एक एक शरीग्में, जौवा जीव अनन्ता प्रमाण । जीवा ॥ ६ ॥ तमाथी अनादि जौवड़ा, जौवा मोक्ष जाव हगचाल । एक शरीर खाली न हुवे, जीवा नहुवे अनन्त काल । जौवा ॥ ७० ॥ एक एक अभवी सङ्ग, जौवा भव अनन्ता होय । बली विशेष जाणिये, जीवा जन्म मरण तूं जोय। जौवा० ॥८॥ 'दीय घड़ी काची मध्ये , जीवा पैंसठ सहस्र सौ पांच । बत्तीस अधिका जाणज्यो, जौवा यह कर्मानी खांच। नौवा० ॥८॥ छेदन भेदन वेदन वेदना, जौवा नरक सही बारम्बार । तिणसेतो निगोदमें, जौवा पनन्त गुणी विचार । जीवा० ॥ १० ॥ एकोन्द्री मांय थौ निकल्यो, जीवा इन्द्रिय माम्यो दोय। तब पुण्याई ताहरौ, जीवा ते घी अनन्ती होय। जीवा ॥ ११ ॥ कमि तेन्द्रिय
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