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( ८७ ) चन्दने, बेची मु तारा राणौ। बारह वर्ष लग माथै आण्यो, नौच तणे घर पाणी रे । प्राणी० ॥ ५ ॥ दधिवाहन राजानी बेटी, चावी चन्दन बाला। चौपद ज्यों चौहटामें बेची, कर्म तणा ये चाला रे। प्राणी० ॥ ६॥ सम्भूम नाम आठवां चक्रो, कमी सायर नाख्यो। सोलह सहस्त्र यक्ष असा देखें, पिण किण ही नवि राख्यो रे। प्राणी० ॥ ७॥ ब्रह्मदत्त नाम बारहवां चक्री, कमीकोधी आन्धो। इमि जाणी प्राणी थे कांई, कर्म कोई मति बान्धो रे। प्राणो० ॥ ८॥ छप्पन करोड़ यादव नो साहिब, कृष्ण महावली जाणी। अटवी माहौं मुवो एकलड़ो, बिल बिल करतो पाणी रे। प्राणी० ॥ ६पाण्डव पांच महा जमारा, हारी द्रौपदी नारी। बारह वर्ष लग वन रड़वड़िया, भमिया जैम भिखारौ रे। प्राणी० ॥ १० ॥ बोस भुजा दश मस्तक हुँता, लक्ष्मण रावण मायो। एकलड़े जग सहु नर जौल्यो, ते पिण कमी सूं हास्यो रे। प्राणो० ॥ ११॥ लक्ष्मण राम महा बलवन्ता, अरु सतवन्तौ सौता । कर्म प्रमाणे सुख दुःख पाम्यां, वौतक बहुतसा बीता रे । प्राणी० ॥ १२॥ सम्यक्त्व धारी श्रेणिक राजा, बेटे बान्थ्यो मुसका। धर्मों नरने कमी धकायो, कमा सूं जोर न किसका रे। प्राणी० ॥१३॥