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जायरे || आ० ॥ ७ ॥ बलता श्रीवीर जिनेन्द्र इसड़ी
कहै र े,
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सुन
शक्रेन्द्र माहरो बाय रे । तीन काल में बात हुई नहौर, आयुषो बधारियो नहि जायर ॥ आ० ॥ ८ ॥ अस्थिर संसार जागी मुनि तन नौसस्यार', करता मुनि नवकल्पो विहार रे । भाग्डपक्षीनी दौ ज्यांने उपमार, नधरैमुनि ममता नेह लिगा | आ॰ ॥ ८ ॥ चारित्र पाले रूडी रोति सूं र े, देवे बलौ अपनो छन्दा रोक र । तुरत विराजे मुनि मुक्ति, यश लहै, इहलोक परलाकर | मा० ॥ १० ॥ शब्द रूप देखिने समता करो रे, मत करो कोइ भणियांरो अभिमानरे । चोथ ऋषिजी कहै शहर जालोर में र, सूव होज्यो निस्तार रे ॥ ११ ॥
थी. मुझ
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अथ मुक्ति जानेकी डिग्री ।
* दोहा * सौर्घङ्कर, महावीरने, कौशल गणधर साज- 1
कानून प्ररूप्या है दया, सब जीवन - हित काज ॥ १ ॥ दान शौल तप भावना, असल खुलासा सार । जिन पुरुषां धारण किया, पहुंचा मुक्ति संभार ॥ २ ॥
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