SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 79
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ७१ ) जायरे || आ० ॥ ७ ॥ बलता श्रीवीर जिनेन्द्र इसड़ी कहै र े, 2 सुन शक्रेन्द्र माहरो बाय रे । तीन काल में बात हुई नहौर, आयुषो बधारियो नहि जायर ॥ आ० ॥ ८ ॥ अस्थिर संसार जागी मुनि तन नौसस्यार', करता मुनि नवकल्पो विहार रे । भाग्डपक्षीनी दौ ज्यांने उपमार, नधरैमुनि ममता नेह लिगा | आ॰ ॥ ८ ॥ चारित्र पाले रूडी रोति सूं र े, देवे बलौ अपनो छन्दा रोक र । तुरत विराजे मुनि मुक्ति, यश लहै, इहलोक परलाकर | मा० ॥ १० ॥ शब्द रूप देखिने समता करो रे, मत करो कोइ भणियांरो अभिमानरे । चोथ ऋषिजी कहै शहर जालोर में र, सूव होज्यो निस्तार रे ॥ ११ ॥ थी. मुझ 1 अथ मुक्ति जानेकी डिग्री । * दोहा * सौर्घङ्कर, महावीरने, कौशल गणधर साज- 1 कानून प्ररूप्या है दया, सब जीवन - हित काज ॥ १ ॥ दान शौल तप भावना, असल खुलासा सार । जिन पुरुषां धारण किया, पहुंचा मुक्ति संभार ॥ २ ॥ :
SR No.010500
Book TitleJain Hit Shiksha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
PublisherKumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
Publication Year1925
Total Pages243
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy