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________________ ( ५३ ') भौखनजी तेरापंथौ, तिणमें ये गुणपावै हो, प्रभू तेरापंथरा, शोभो गुण गावै हो ॥ सी ॥ २१॥ अथ श्री सोलह सतीनो स्तवन । आदिनाथ आदि जिनवर बंदी, सफल मनोरथ कोलियेए प्रभाते उठि मंगलिक कामे, सोलह सतीना नाम लौजियेए ॥ १॥ बालकुमारी जग हितकारी, ब्राह्मी भरतनौ बहनडीए ॥ घट घट व्यापक अक्षर रूपे, सोलह सती मांहि जे बडौए ॥ २॥ बाहु बल भगिनी सतिय शिरोमणि, सुंदरिनामे ऋषभ सुताएं ॥ अंक वरूपी त्रिभवन माहे जेह अनोपम गुण जुताए ॥३॥ चन्दनवाला बालपणेयो, शौयलवंती शुद्ध श्राविकाए ॥ उड़दना बाकुला बौर प्रति'लाभ्या, केवल लही व्रत भाविकाए ॥ ४ ॥ उग्रसेन धुआ धारिणी नन्दनी, राजमती नेम बल्लभाए॥ जोबन वेशे काम नै जोत्यो संयम लेइ देव दुल्लभाए ॥ ५ ॥ पंच भरतारी पांडव नारी, द्रुपद तनया वखाणियेए ॥ एकसो आठे चौर
SR No.010500
Book TitleJain Hit Shiksha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
PublisherKumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
Publication Year1925
Total Pages243
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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