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अनिल तजै प्रतिकूल पणु॥ बाजै गमती वायोरा ॥ प्र. पा० ॥ ५ ॥ राग द्वेष दुर्दैत ते दमिया ॥ जोत्या विषय विकारो॥ दीन दयाल आयो तुज शरणे ॥ तुंगति मति दातारोरा ॥ प्र. आ० ॥६॥ सम्बत उगणौसै पासोज तौज कृष्ण श्री मुनिसुव्रत गाया ॥ लाडनूं शहर मांहि रूड़ी रौतें आनंद अधिको पायारा ॥ प्र० आ० ॥७॥
श्री नमि जिन स्तवन ।
परम गुरू पुज्यजी मुज प्यारारे । नमिनाथ अनाथांरानाथोरे ॥ नित्य नमण करनाड़ी हाथोरे ॥ कर्म काटण बौर विख्यातो ॥ प्रभु नमिनाथजी मुजप्यारारे ॥ १ ॥ प्रभु ध्यान सुधारस ध्यायारे पद केवल जोड़ीपाया रे ॥ गुण उत्तम उत्तम पाया ॥ प्र० ॥२॥ प्रभु वागरी वाण विशालोरे ॥ खीर समुद्रथौ अधिक रसालोरे ॥ जगतारक दीन दयालो। प्र० ॥३॥ थाप्या तीर्थं च्चार जिणंदोरे ॥ मिथ्या तिमिर हरणने मुणंदोरे ॥ त्याने सेवे सुर नर वन्दो ॥ प्र. ॥४॥ सुर अनुत्तर विमाणना सेवेरे प्रश्न पूछयां उत्तर जिन देवेरे ॥ अवधिग्यांन करी जाणलेवे ॥ प्र० ॥ तिहां बैठा ते तुम ध्यान ध्यावेरे ॥ तुम योग मुद्रा चित्त चावैरे । ते पिण आपरौ भावना भावे ॥ प्र० ॥६॥