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लाखां कोडां हजारां दामजी | जी० ॥ ६८ ॥ आगे बड़ा बड़ ेरा भोला था नहीं, धन खरचे लगावे पाप जौ । किाही री उठाई उठे नहीं, माहरा बड़ा बूढ़ा घापजी || जी० ॥ ६६ ॥ आगे सर्व मार्ग हुआ घणा, त्यांरो जोवो पुराण विचारजी । त्यां पिण लाखां कोडां लगाविया, कराया देवल हरदुवारजी || जी० ॥ ७० ॥ आगे बड़ा बड़ेरा तुरकां तयां, त्यां पिय कराई मसौतनी । त्यां पिग लाखां कोड़ां लगाविया, मगलां वे आहोज गैतजी ॥ जी० ॥७१॥ नैनी, शिव, ने सुसलमान रे, सगलां रे बड़ा से ही तनी ।
त्यां पिग लाखां कोड़ां लगाविया ने कराया देवल यदि मसीतजी || जी० ॥ ७२ ॥ और देवल मसीत कगविया, त्याने पाप बतावे पूरनी । जैन रा देहरा कियां तेहने, धर्म कहै ते एकन्त कूरजी || जी० ॥ ७३ ॥ धर्म होसी तो सगला धर्म है, पाप होसी तो सगला पापजी । ए लेखो कियां तो लड़ पड़े, खोटो श्रद्धा करवा से धापजी || जी० ॥ ७४ ॥ आपरा देवल गै करै घामना, और देवल देवे उद्यापनी । पिग धर्म नहीं हिंसा कियां, कोई मत करो कूड़ बिलाप नी ॥ नी० ॥ ७५ ॥ दया धर्म है जिन तयो, तिगा ने जीव न हगावो विशेषजी । जीव माग्यां