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( १८४ ) इच्छामि ठामि पडिक्कमेउ जो मैं देवसौको पाटी कही तस्स धम्मस केवली पन्नतस्सको पाटी, दोय खमासमणां कहणां । पांच पदांको बंदना कहणौ।
सातलाख पृथ्वीकाय सातलाख अप्यकाय इत्यादि खमत खामणांकी पाटी।
॥ चौथो आवस्सग समाप्त ॥ पंचमा आवसगको आज्ञालई कहै। १ देवसी प्रायश्चित् विसाधनार्थ करेमिकाउसग्ग। २ एक नवकार। ३ करेमिभते सामाईयं को पाटी। ४ इच्छामि ठामि काउसग्ग को पाटो।
५ तस्मुत्तरी की माटी। ध्यानमें लोगस्स कहणांको परममगय गैतीसे । प्रभाते तथा सांस वक्ता ४ च्चार लोगस्सको ध्यान । पखौने १२ वार लोगस्स को ध्यान । चौमासौ पखौ ने २० वास लोगस्मको ध्यान समत्सरोने ४० चालीस लोगस्सको ध्यान । ध्यान पारी लोगसमको एक पाटो प्रगट कहणी । २ दीय स्वमासमगां कहगा।
॥ इति पंचमं आवस्सग समाप्त ॥