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________________ ( १३७ ) स 8 व द्रव्य में चोर कितना साहूकार कितना जौव तो चोर साहूकार होनं है; बाकी पांच द्रव्य चोर साहूकार दोनं नहीं; जीव है । ५ छव द्रव्य में सावद्य कितना निरवद्य कितना 俗 ņ 1 T एक जीव द्रव्य तो सावद्य निरवदा होनूं है; बाकी पांच द्रव्य सावद्य निरवद्य दोनूं नहीं । ६ छव द्रव्य में एक कितना अनेक कितना धर्मास्ति; अधर्मास्ति श्राकाशास्ति; ए तीनों तो एक हो द्रव्य है; काल नौव; पुद्गलास्ति ए तीन अनेक छै; दूणांका अनन्ता द्रव्य है । ७ छष द्रव्य में सप्रदेशी कितना अप्रदेशी कितना एक काल तो अप्रदेशी है; बाकी पांच सप्रदेशी छै । ॥ लड़ी २७ सत्ताइसमी ॥ १ पुन्य धर्म के चधर्स दोनं नहीं; किगन्धाय धर्म अधर्म जीव है; पुन्य अजीव है २ पाप धर्म के अधर्म दोनं नहीं, किणन्याय धर्म अधर्म तो जीव के पाप जीव है ३ बंध धर्म के अधर्म दोनूं नहीं; किणन्याय धर्म अधर्म तो जीव है बंध जीव है 1 १८
SR No.010500
Book TitleJain Hit Shiksha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
PublisherKumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
Publication Year1925
Total Pages243
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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