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________________ मोक्ष ए तीन आदरवा जोग छ अने जागाया जोग नवही पदार्थ छै। ६ नव पदार्थ में रूपी कितना अरूपी कितना जौव, चाखव, संवर, निर्जग, मोक्ष ए, पांच तो अरूपो छै; अजौव रूपी अरूपी दोन छ पुन्य, पाप, बंध कपी है। 9 नव पदार्थ से एक कितनां अनेक कितना उ० अजोब टालो आठ पदार्थ तो अनेक है, अने यजीब एक अनेक दोन छै, किणन्याय धर्मास्ति अधर्मास्ति आकाशास्ति घको एक एक ही द्रव्य है। ॥ लडो २६ छवीसमी ॥ १ छव द्रव्य में जीव कितना अजीव कितना एक जौब पांच अजीव छ। २ छव द्रव्य में रूपी कितना अरूपी कितना जीव; धर्मास्ति; अधर्मास्ति आकाशास्ति; काल; ए पांच तो अरूपी के. पुद्गल रुपी है। ३ छव द्रव्य से आज्ञा मांहि कितना थाना वाहिर कितना जीव तो आज्ञा मांहि वाहिर दोन छै; बाको पांच माजा मांहि वाहिर दोनं नहीं।
SR No.010500
Book TitleJain Hit Shiksha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
PublisherKumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
Publication Year1925
Total Pages243
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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