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( १३४ )
६ सावध छांडवा नोग के बदरवा जोग छांडवा
जोग है ।
७ सावद्य पुन्य, के पाप दोनं नहीं; पुन्य पाप तो अजीव है; सावद्य नीव है ।
॥ || लडी २४ चोबीसमी ॥
१ निरवद्य जीव के जीव जीव 1 २ निरवद्य सावद्य के निरवद्य निरवद्य के 1
३ निरवद्य चोर के साहूकार साहूकार छ ।
४ निग्वद्य भाज्ञा मांहि के बाहिर मांहि है ।
५. निरवद्य रुपी के अरूपी अरूपी है
1
६ निरवद्य छांडवा जोग के आदरवा जोग आदरवा ७ न
जोग है ।
धर्म के अधर्म धर्म है ।
८ निग्वद्य पुन्य के पाप पुन्य पाप दोनूं नहीं, किगन्याय पुन्य पाप तो अजीव है, निरवद्य
नीव के
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॥ लडी २५ पचीसी ॥
१ नव पदार्थ में जीव कितना पदार्थ अने अजीव
कितना पदार्थ जीव, आस्रव, संवर निर्बंग,