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शुभ जोगां से निरजरा होय जिण आसरी निर्वा छै अशुभ नोग सावद्य है ।
६संबर सावद्य निर्वद्य निर्वद्य छ ते किणन्याय कम नें रोके ते निर्वद्य है
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७ निरजरा सावयके निर्वद्य निर्वद्य है ते किणन्याय कर्म तोडवारा परिणाम निवेद्य के
८ बंध सावद्यके निर्वद्य दोनूं नहीं ते किणन्याथ अनी है इ न्याय |
मोक्ष सावद्य निर्वद्य; निर्वद्य है, सकल कर्म सूकाय सिद्ध भगवंत थया ते निर्वद्य है ।
॥ लड़ी तीजी आज्ञा मांहि बाहिरकी ॥
१ जौव आज्ञा मांहि के बारे; दोनूं है ते किणन्याय, जौवका चोखा परिणाम आज्ञा मांहि है, खोटा परिणाम आज्ञा बाहिर है
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२ जीव आज्ञा मांहि बाहिर, दोनूं नहीं; अजाव है ।
३ पुन्य प्राज्ञा मांहि के वाहिर दोनूं नहीं भजीव के इणन्याय |
४ पाप आज्ञा मांहि बारे दोनूं नहीं अजीव है
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