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॥ दुहा ॥ सेठ सुदर्शया तेहनें। आगन्यां दिधौ रुडी गैत । हिवे करे महाछव दिक्ष्यातणां । ते संगज्यो धर प्रौत ॥ १॥ सदन स्नान करायनै । आभूषण विविध प्रकार ॥ सिणगार बैसाण्या सेवका उपरै । जव सैठ गुण्यों नवकार ॥ २ ॥ सहस उपाडी सेवका। चालना नगर संझार ॥ चारणा भाट वाले विग्दावलौ। साथै सहु परिवार ॥ ३॥ धात्रौवाहन तिण अवसरै। सेठनों निखसगा जांगा ॥ हिवे करै म्होछव दिक्षातणां । करमाटे मंडाण ॥४॥ बाजीव विविध प्रकारनां । आवाज कर गुजार ॥ ते लागै कांनांने सुहामणां । मननें हर्ष अपार ॥ ५॥