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________________ विषयानुक्रम *विषयावतार पृष्ठ ५१-६३ .. शांति का स्रोत ५१ भारतीय संस्कृति की दो धारायें ५३, गौरव गाथा ५७, अन्य धर्मों में जैनधर्म का स्थान ५७, जैनधर्म विश्वधर्म है ५८ । *जैनधर्म और पुरातत्व ६४-१२१ जैनधर्म की मौलिकता और प्राचीनता ६४-७६ (जैनधर्म बौद्ध धर्म से प्राचीन है । जैनधर्म वेद धर्म से प्राचीन है) इतिहास काल के पूर्व का जैनधर्म ७७-६(म० ऋषभदेव, कर्मयुग का प्रारंभ, नेमीनाथजी की ऐतिहासिकता, भगवान पार्श्वनाथ ). भ० महावीर और उनकी धर्मक्रांति ८६-समकालीन धर्म प्रवर्तक १०१, महावीर और बुद्ध १०६, जैनधर्म और बौद्धधर्म १११, जैनधर्म और वैदिकधर्म ११४। । जैन संस्कृति और सिद्धान्त १२२-१५८ जैन संस्कृति निरूपण १२३, धार्मिक सिद्धान्त १३.१. ( अहिंसा का महान् । सिद्धान्त १४४ अपरिग्रह का जैन आदर्श १५८ ). . . . . . . . . . ." *जैन तत्वज्ञान १७२-२८४ जैन दृष्टि से विश्व, १७३ सृष्टि कर्तृत्ववाद १७४, पाश्चात्य सृष्ठावाद १७५ विशिष्ठातवाद की मान्यता १७६ अद्वतवाद १८० बौद्ध र्शन की मान्यता १८२, जैनदृष्टि से ईश्वर १८५, जैनदर्शन में आत्मा का स्वरूप १६४, कर्म का अविचल . सिद्धान्त २०६ (पुनर्जन्म२१३ कर्मों की मूल प्राकृतियाँ २१६ कर्मवाद की व्यवहारिकता २२३:) आध्यात्मिक विकास क्रम, गुणस्थान २२४, जैनधर्म का वैज्ञानिक द्रव्य निरूपण २३२, जैनधर्म भौतिक जगत् और विज्ञान २४३, (द्रव्य लक्षण २४४, अमूर्त द्रव्य २४६,) जैन विचार पद्धात्ति की मौलिकता' स्याद्वाद २६०, नयवाद २६४ जैनधर्म के विषय में भ्रांत मान्यतायें और उनका परिकार २७७ इतिहास विषयक भ्रांतियाँ २७८, आस्तिक नास्तिक विचार २८० । ......... . जैनधर्म और समाज २८५-३०६ — जैन संघ व्यवस्था २८७ जैनधर्म और वर्ण व्यवस्था २६ जनसंघ में नारी का .. स्थान २६७ प्रमुख जैन जातियाँ ३०३ ।
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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