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जैन गौरव-स्मृतियाँ
★ सेठ श्री चांदमलजी बांठिया - कलकत्ता
आज से करीब १२५ वर्ष पूर्व बीकानेर निवासी सेठ भागचन्दजी चुरु होते हुए जयपुर आए । जयपुर आकर व्यापार प्रारम्भ किया और अच्छी सफलता प्राप्त की। आपके छोगमलजी और बींजराजजी नामक दो पुत्र हुए।
सेठ बींजराजजी के जोरावरमलजी, सूरजमलजी, सौभागमलजी और चॉदमलजी नामक ५ पुत्र हुए ।
किस्तूरचन्दजी
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सेठ चाँदमलजी - आपका शुभ जन्म संवत् १६४४ का है। आपकी प्रखर प्रतिभा से इस परिवार की प्रतिष्ठित विशेष बढ़ी तथा व्यापार में बड़ी तरक्की हुई। आप कलकत्ता तेरापंथी जैन समाज के आगेवान सज्जन हैं तथा तेरा पन्थी महासभा के प्रमुख कार्यकत्ता हैं । आपने जयपुर में पार्श्वनाथ जैन लाइब्रेरी अपनी ओर से स्थापित की हैं जो आज भी जनता की अच्छी सेवा कर रही है ।
कु. पूनमचन्द बांठिया
सेठ चाँदनी बांठिया कलकत्ता
आपने afar एन्ड फनी के नाम से विलायत में भी मोने चाँदीका काम करने हेतु फर्म खोली । इस समय पापका व्यापार कलकता, जलपाईगुड़ी और चटगांव में हो रहा है। यह फर्मान की लेजिंग
है।
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