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________________ जैन-गौरव-स्मृतियाँ 长的长长长长长长的中谷长沙沙的长沙长出长长长长的中心 *श्री विजयसिंहजी नाहर, कलकत्ता जैन समाज के प्रकाश स्तम्भ एवं गण माननीय नेता स्व० श्री पूरण चन्दैजा नाइर एम. ए. बी. एल के सुपुत्र श्री विजयसिंहजी नाहर का जन्म सन् १६०६ में हुआ । सन् १९२७ में आपने कलकत्ता यूनिवर्सीटी से बी. ए. पास किया । . श्री विजयसिंहजी नाहर समाज सेवक, उदार हृदय एवं कर्मठ कार्य कर्ता है राजनैतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में आपका जीवन अनुकरणीय है। कलकत्ता कारपोरेशन के आप काउन्सीलर हैं एवं बंगाल प्रान्त के भूतपूर्व एम, एल. सी. रह चुके हैं। वर्तमान में आप पश्चिमीबङ्गाल प्रान्तीय कॉग्रेस कमेटी के प्रधान मन्त्री एवं आखिल भारत कॉग्रेस कमेटी के सदस्य हैं। अ०भा० ओसवाल महासम्मेलन के मन्त्री पद पर रहकर आपने महासभा की आदर्श सेवा की । श्री जैनसभा कलकत्ता के भी आप सभापति रह चुके हैं। भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में आपने सन् ४२ से ४५ तक जेल यात्राए की। - आपके सुपुत्र श्री रतनसिंहजी नाहर अभी विद्याध्ययन कर रहे हैं। श्रीमती सुचिता दुगड नामक आपकी बड़ी पुत्री बङ्गाल के प्रसिद्ध चित्रकार इन्द्र दुगड़ की धर्मपति हैं एवं छोटी पुत्री श्रीमती सुलेखा भूतोड़िया श्री चन्दनमल भूतोड़िया की धर्मपत्ति हैं । श्री विवयसिंहजी नाहर को प्राचीन चित्र एवं देश विदेश के सिक्छः-- के संग्रह में विशेष अभिरुचि है। .. . . जस्टिश्री रणधीरसिंहजी बच्छावत, कलकत्ता .. ......... . कानून के यशस्वी श्री रणधीर सिंहजी वच्छावत का शुभ जन्म सं० १९६४ आषाढ़ सुदि ८ को अजीमगंज निवासी श्री प्रसन्नसिंहजी बच्छावत के यहां हुआ। अजीमगंज में आपका परिवार प्रतिष्ठित रईसों में से है। सेण्ट जोन्स कॉलेज कलकत्ता से सन् १९२५ में बी. ए. किया । सर्व प्रथम. रहे अंतः दो स्वर्ण पदक मिले । १६२७ में इकोनोमिक से एम. ए. पास किया। १६३८ में विलायत गए और १६३१ जून में वार. एटलॉ की डिग्री प्राप्त की। साथ ही में लन्दन यूनीवर्सिटी से एल. एल. बी. भी लिया । इस प्रकार से उच्च शिक्षा उत्तीर्ण कर १६३२ में कलकत्ते में प्रैक्टिस शुरू की। आपकी प्रतिभा से बड़े २ जज प्रभावित हैं। कलकत्त में आपकी सबसे अच्छी प्रेक्टिस थी। १८ साल तक प्रेक्टिस करने के बाद २३ जनवरी सन् १९५० को बंगाल प्रान्त के कलकत्ता हाईकोर्ट के आप जज नियुक्त हुए । जैन समाज में आप ही सबसे पहिले सज्जन हैं जो. इतने बड़े प्रान्त के जस्टिस नियुक्त हुए। समाज को आप पर गौरव है । यह एक ऐसा पद है. जिसकी नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं। आपके ज्येष्ठ पुत्र जितेन्द्रसिंहजी २४ वर्षीय युवक हैं और विलायत अभया सार्थ गए हुए हैं। इनसे छोटे विजयसिंहजी और दीपसिंहजी है जो क्रमश १८, १६. वर्ष के हैं, अभी अध्ययन कर रहे हैं। . ... ... .....::.:. . . . . . .....
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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