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जैन-गौरव-स्मृतियाँ
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1 शाखा और उपशाखाओं द्वारा संस्था का परिवार सम द्ध और अपने ध्येयानुसार कार्य करने में सफल रहा है । संस्था के कार्यकर्ताओंकी भावना संस्था के अभिवृद्धि की है।
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-:*:सेठ धन्न सावजी चंवरे : बघेरवाल कारंजा
(याकोला) कारंजा के एक प्रमुख श्रीमंत, परम उदार तथा शिक्षा प्रेमी महानुभाव।
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*श्री नेमीनाथ ब्रह्मचर्याश्रम जैन गुरुकुल चांदवड जि नासिकः
जैनसमाज में शिक्षा, संकार व शक्ति का एक ही साथ विकास होकर समाज देश की अन्य प्रगतिशील य कार्यक्षस समाजों के साथ योगे बढ़े इस ध्येय से ताः १७-१२-१६२८ ज्ञानपंचमी के शुभ मुहर्त पर कर्मवीर केशवलालजी श्रावड़ ने चांदवड़ ग्राम के वाहिर जंगल में पहाड़ों के बीच सुन्दर स्थान में गुरुकुल की स्थापना की। सैकड़ों समर्थ व असमर्थ छात्रों ने संस्था में पढ़ाई की है। उनमें से कोई डॉक्टर, कोई वकील, कोई पदवीश्वर, कोई प्रतिष्ठित व्यापारी तथा कोई सार्वजनिक कार्यकता है।
इसी संस्थ में सरकार मान्य निजी प्रायमरी स्कुल तथा हाईस्कृत हैं. जिन मराठी पहली तास से मैष्टिक तक की पूर्ण पढ़ाई होती है। संस्था के हाईस्कल में करीव ३५० विद्यार्थी तथा छात्रालय में १५० विद्यार्थी हैं। बाल विकास के उत्तमोत्तम सर्व साधन व टिक खुराक की सर्वोत्तम व्यवस्था होने से संस्था को वार्षिक खर्च रु.८०-८५ हजार पाता है।