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* जैन-गौरव-स्मृतियाँ * सेठ एम. एल. जी. मुलतानमलजी रांका-सिवाना (मारवाड़)
सेठ गेवीरामजी, श्रद्धालु, धर्मनिष्ट और परीपकारी सज्जन है। ऐसे धर्म परायण घराने में सं० १६७० कार्तिक शुक्ला १० को मुल्तानममलजी का शुभ जन्म हुआ। आप सादगी प्रिय, मिलन सार..और उत्साही सज्जन हैं। प्रथम । विवाह श्री राजमलजी ललवाणी की . द्वितीय पुत्री के साथ हुआ । परन्तु असमय में स्वर्गवास होजाने से मिवाना निवासी श्री राजमली मंसाली की पुत्री से आपका द्वितीय विवाह हुआ। आप दोनों पति पत्नि श्रद्धालु और धर्मपरायण हैं। दो कन्यायें हैं।
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' कडप्पा (मद्रास) में “पृनमचन्द राजमल" के नाम से व्यवसाय होता है । सीवाने में भी फर्म है। *श्री सेठ गणेशमलजी भीमराजजी सिवाना (मारवाड़) . .:.
श्री सेठ रुपचन्दजी के पुत्र श्री गणेशमलजी ५० वर्षीय उदार महानु । साव हैं । और चतुर व्यापारी हैं। आप के ज्येष्ठ पुत्र श्री रतनचन्दजी, बगतावर मलजी एवं खमराजजी हैं जो अध्ययन • कर रहे हैं। ____ श्री सेठ गणेशमलजी के छोटे भाई
श्री भीमराजजी ४३ वर्षीय है इनसे छोटे : परतापमलजी हैं। आप तीनों भाइयों का -
प्रेम आदर्श रूप है और तीनों का ही ..संम्मिलित व्यापार होता है । सिवाने में
आप लोगों की और से एक धर्मशाला हैं तथा स्थानीय होस्पिटल में भी आपकी
ओर से अच्छी सहायता प्रदान की गई। स्थानीय जैन एवं जैनेतर समाज में यह
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