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________________ जैन-गौरव-स्मृतियाँ अमेठ लिखमीचन्दजी कानूगो-सीवाना 'ER *000000000 - hA A . :4 ,... - .' HA.. १. 500cc .... .. 100 ii. .. ... . स्थानकवासी आन्नाय के अनुयायी कवाड़ गोत्रोत्पन्न श्री जेठमलर्जी कानगो के लिखमीचन्दजी, आशारामजी, एवं बंसराजजी नामक तीन पुत्र हुए। श्री जेठ मलजी उदार चेना प्रभावशाली एवं धर्म परायण महानुभाव थे। " श्री लिखमीचन्दजी की आयु ४० वर्ष की है। आप भी अपने पितृ तुल्य गण युक्त है। आप अपने यन्धुयों के साथ व्यापार में संलग्न है । आपकी फर्म "जेट मल हंगरचन्द कानगो" ११ साहुकार पेठ मद्रास में अवस्थित... एवं व्यवस्थित रूपेण कार्य कर ली है । प्राप बन्धुयां की माताजी श्री नाबाई धर्मपरायणा एवं कर्तव्य निष्ट साध्वी थीं । आपने संथारा लिया और न्वर्ग मिधारी। .. श्री लिखामीचन्दजी के घंवरचन्दजी नामक पुत्र हैं जिनकी श्रायु १४ वर्ष आप अभी अध्ययन कर रहे है । प्रासारामजी के पुत्र भंवरलालजी जो कि श्रमी माल कर पता-जंदमल गर चन्द कानगा ११ साहकारपेट am
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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