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जैन-गौरव-स्मृतियां
४स्थापित की जिसके अंतर्गत विद्यालय, श्राविका श्रम और कन्या शिक्षण, छात्रा
लय, सिद्धांतशाला, पुस्तकालय तथा साहित्यप्रकाशन विभागः सुचारु से चल रहे हैं । थोड़े दिनों बाद अगरचंदजी का स्वर्गवास हो गया । आपके ज्येष्ठ पुत्र श्री जेठमलजी श्री अगरचंदजी के गोद गए हैं। ..
इस वृद्धावस्था में भी आपने सं० १६६६ से पांच वर्ष तक अथक परिश्रम कर "जैनसिद्धान्त बोल संग्रह" आठ भाग, सोलहसती, अर्हन्प्रवचन और जैनदर्शन तैयार कर प्रकाशित कराये है। और भी जैनशास्त्र यथा श्री दशकालिक सूत्र श्री उत्तराध्ययनजी, श्री प्राचाराङ्ग जी आदि सूत्रों का सुबोधअन्वयार्थ व भावार्थ सहित प्रकाशन कराया है।
__सन् १९२६ में श्री अ० भा० श्वे. स्थानकवासी जैनकान्फ्रेन्स के वम्बई में हुए ७ अधिवेशन के आप सभापति बनाये गए । समाज व धर्म की सेवा के साथ २ आपने राज्य व बीकानेर जनता की भी अच्छी सेवा की। १० वर्ष तक आप बीकानेर म्युनिसिपल बोर्ड के कमिश्नर रहे। १६३१ में
आपको आनरेरी मजिस्ट्रेट बनाया गया । गन् ११३८ में आप म्यूनिसिपल बोर्ड की ओर से बीकानेर असेम्बली के सदस्य चुने गए । इस प्रकार से .. आपने बीकानेर की जनता की खूब सेवायें की।
सन् १९३० में आपने विद्युत चालित एक ऊन की गांठ बांधने वाला प्रेस खरीदा जो आज भी बीकानेर बूलन प्रेस के नाम से विशाल पैमाने पर चल रहा है। अब आप व्यापार व्यवसाय से सर्वथा निवृत्त होकर धर्म भ्यान में गंलग्न है । पिछले १२ वर्षों से धार्मिक साहित्य पढ़ना, सुनना और तैयार करवाना ही प्रापका कार्यक्रम है।
श्रापक श्री जेठमलजी, श्री लहरचन्दजी, जुगराजजी और ज्ञानपलजी श्रादि चार पुत्र है । श्री जेठमलजी श्री अंगरचन्द के गोद गये हैं। आप सभी मुशिक्षित, संस्कृत एवं व्यापार कुशल हैं। एवं सेठजी के आशानुवर्ती
है। इस प्रकार से भरदानजी सेठिया एक धर्मात्मा, सफल व्यापारी, समाज · . 7 व राज्य में प्रतिष्ठित दानवीर और परोपकार परावण सज्जन ६ ।
श्री जेठमलजी भी आपही पदचिन्हों पर चलने वाले है एवं बड़े सुविचार शील और उदार प्रकृति के सन्जन है। ..