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ग्रन्थ के माननीय सहायक
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रह कर सहृदयता का परिचय दिया। श्री सेठ नेमीचन्दजी के सम्पतलालजी तथा रतनलालजी नामक दो पुत्र हैं। श्री सम्पतलाल जी कालेज में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। जिनका विवाह गंगाशहर के सुप्रसिद्ध चौपड़ा परिवार में हुआ। श्री सेठ साहब की पुत्री का विवाह प्रसिद्ध गोठी परिवार में हया। आपने भी पर्दा प्रथा वहिष्कार कर दिया । इस प्रकार से यह परिवार उन्नत, प्रगतिशील और श्रादर्श विचारों का परिवार है।
पता:-सेठ श्रीचन्द गणेशदास १:३ मनोहरदास कटला कलकत्ता। *समाजभूषण सेठ राजमलजी ललवाणी, जामनेर.
आपका जन्म सं. १६५१ का वैशाख सुदी ३ को अाऊ ( फलौदी) नामक ग्राम में हुआ। बाल्यकाल बहुत साधारण स्थिति में व्यतीत हुआ। अापके जन्मजात . गुरगों से प्रभावित हो खानदेश के गणमान्य सेट लकवी चन्दजी ने संभ १६६३ में आपको दत्तक ले लिया। भाग्य के इस परिवर्तन ने आपको एक श्रीमन्त बना दिया । अकस्मान. जीवन में इस प्रकार का परिवर्तन होजाने पर भी पाएके अदम्य उत्साह, सादगी, निरभिमानता एवं कर्मवीरता में रत्ती भर भी अन्तर नहीं ।
श्राया। १८... श्रापका सार्वजनिक जीवन प्रत्येक अंशों में पूर्ण है । खानदेश
केशन सोसायटी, जनसवालबोडिंग जलगांव. अ. भा. महावीर - मुनि मंडल, जलगांव जीमखाना, भागीरथीबाई लायब्ररी, राजमल लपवी
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