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ग्रन्थ के माननीय सहायक के लिए अभी तक कुल ११२८१२१)रु प्रदान किये हैं।
___संस्थाओं की स्थावर व जंगम कुल सम्पत्ति का सेठजी साहिव ने दान पत्र लिखकर होलकरगर्वमेन्ट ट्रस्टडीड एक्ट के अनुसार उसकी रजिस्ट्री करादी हैं और कुल सम्पत्ति सात सदस्यों की एक ट्रस्ट कमेटी के सुपुर्द हैं।
आपने सर्वसाधारण के लिए समय समय पर अकाल, प्लेग, बाढ़ आदि के अवसरों पर भी काफी सहायतायें दी हैं। हिन्दीसाहित्य के प्रति भी आपका प्रेम सराहनीय है। सन् १९३८ में देशपूज्य महात्मागाँधी के सभापतित्व में इन्दौर में होने वाले हिन्दी-साहित्य सम्मेलन के आप स्वागताध्यक्ष थे। मध्यभारत में हिन्दी-साहित्य के प्रचारके लिए दसहजार रुपया दान दिया था। आपने जैनधर्म के प्रचार व रक्षा लिये लाखों पया दान दिया है तथा कई मन्दिर भी वनवाये हैं।
आप रावराजा, राज्यभूषण, रायवहादुर, सर एवं नाइट जैसी उच्च उपाधियों से विभूषित हैं। इस प्रकार से आपकी प्रतिभा हर क्षेत्र में प्रकाशमान है । आपसे जैन समाज को जितना गौरव हो वह थोड़ा है। * राज्यभूषण-रायबहादुर सेठ कन्हैयालालजी भण्डारो-इन्दरी :-*
श्री सेठ पन्नालालजी अपने निवास स्थान "रामपुरा" से सन् १८१६ के लगभग इन्दौर आए और साधारण सी पूजी से कपड़े की दुकान खोली।
-* - आपके पश्चात् आपके पुत्र सेठ नन्द
लालजी अपने पूज्य पिताजी के व्यवसाय में :साहस पूर्वक अग्रसर हुए । थोड़े ही वर्षों में आपकी गणना
नगर के प्रतिष्ठित व्यक्तियों में एवं .... प्रमुख व्यापारियों में होने लगी ।
आपही के घर सन् १८८८ में सेठ | कन्हैयालालजी का जन्म हुआ । साधारण अंग्रेजी पढ़ना लिखना सीखने के पश्चात् औद्योगिक एवं व्यावहारिक शिक्षा की ओर विशेष ध्यान देना. प्रारम्भ किया । केवल १५-१६ वर्ष की कोमल वय में ही आपने व्यापारिक
क्षेत्र में पदार्पण किया। आगत अवसरों I का सदैव उत्साह, परिश्रम और धैर्य . * के साथ उपयोग करते रहे और नगर..
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