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जैन - गौरव स्मृतिय
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जैनधर्म के अन्तर्गत भेद प्रभेद
धर्म और सम्प्रदाय
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धर्म और सम्प्रदाय दो भिन्न २ वस्तुएँ हैं । धर्म मूल वस्तु है और सम्प्रदा या पंथ उसके बह्य आकार मात्र हैं । दूसरे शब्दों में कहा जाय तो धर्मं श्री सम्प्रदाय में ठीक वही सम्बन्ध हैं जो आत्मा और शरीर में है । धर्म आत्मा श्र सम्प्रदाय उसका शरीर है । यह प्रकट है कि आत्मा और शरीर में आत्मा क महत्व अधिक हैं। शरीर का महत्व तो आत्मा के द्वारा ही है । सम्प्रदाय, मजह पन्थ और परम्पराएँ वहीं तक उपयोगी हैं जहाँ तक ये सब धर्म के पोषक हैं परन्तु जब पोपक के बदले ये सत्य धर्म के शोपक वन जाते हैं तब इन्हें नष्ट क देने में ही वास्तविक हित रहा हुआ हैं । सामान्यतया लोग सम्प्रदाय को ही धम मानने लगते हैं । वे धर्म के वास्तविक स्वरुप को भूल जाते हैं और धर्म आकार-सम्प्रदाय को ही धर्म मानने लगते हैं । अतः धर्म शून्य सम्प्रदाय के साथ भी वे चिपटे रहते हैं । जब कोई सत्य तत्वज्ञ उन्हें समझाता है कि भाई ! तुम जिससे चिपके हुए हो वह धर्म नहीं परन्तु धर्म का निर्जीव चोला है तो वे उस समाने वाले का ही नास्तिक और श्रद्धा हीन कह देते हैं। धर्म के इस विकृत स्वरूप ने ही संसार पर भयंकर तवाहियाँ बरसाई है । यतः धर्म और सम्प्रदाय के विवेक को भली भांति समझने की आवश्यकता है ।
समय से प्रभावित जैनधर्म
भगवान ऋषभदेव द्वारा प्रवत्तित और भगवान महावीर के द्वारा प्रचारित जैनधर्म में काल प्रवाह के साथ साथ अनेक परिवर्तन होते थाये हैं । प्रारम्भ में जनधर्म में देवी देवताओं की स्तुति या उपासना का कोई स्थान नहीं था । जैन रागद्वेष रहित निष्कलंक मनुष्य की उपासना करने वाले रहे हैं परन्तु कालान्तर में गौण रूप से ही नहीं परन्तु जैन उपासना में देव देवियों का प्रवेश हो ही गया । जैन मन्दिरों में मृर्ति पर किया जाने वाला शृंगार और ग्राउन्चर उत्तरकालीन परिस्थिति का प्रभाव है। भगवान महावीर ने तत्कालीन जातिवाद के विच कान्ति की और स्त्री एवं शुत्रों को धर्म के क्षेत्र में समान स्थान देकर ऊंचा उठाने का भरसक प्रयत्न किया परन्तु उत्तर काल में जैनियों पर त्राह्मणों की यातून का इतना प्रभाव पड़ा कि शहों को अपनाने की भावना बन्द होगई और बाद के जैन धर्म प्रचारकों ने भी जाति की दीवारे खड़ी करती । जो जन संस्कृति प्रारम्भ में जातिभेद का विरोध करने में गौरव सममती भी उसने दक्षिण में नये जातिभे की सृष्टि की, त्रियों को पूर्ण प्रत्यात्मिक बोलता के लिए
घोषित किया