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* जैन-गौरव-स्मृतियाँ
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नाडुलाई--नाडोल से तीन कोस पर यह तीर्थ है। यहाँ ११ मंदिर है । यह बहुत प्राचीन शहर हैं इसका पुराना नाम नारदपुरी है । गाँव के बाहर दो टेंकरियों पर दो मंदिर हैं । यहाँ आदिनाथ का मंदिर चमत्कारी और प्राचीन है। यह बारहवीं सदी से भी प्राचीन है।
. सादड़ी-यहाँ पाँच सुन्दर जिनमंदिर हैं। इसमें सबसे बड़ा श्री चिन्तामणी पार्श्वनाथ का भव्य मंदिर हैं । इस मंदिर में सूर्य का प्रकाश __ पड़ने की कोई विशिष्ट प्रकार की योजना है ऐसा फग्र्युसन ने लिखा हैं।
घाणेराव--यहाँ आदीश्वर भगवान् का विशाल मंदिर है । कुल दस मंदिर हैं जो दर्शनीय हैं। मुछाला महावीरः
घाणेराव से १।। कोस दूर श्री मुछाला महावीर का सुन्दर मन्दिर है। ___ यह दो हजार वर्ष पहले का तीर्थ है । कोई कहते हैं कि नन्दीवर्धन राजा ने 3 यह मूर्ति स्थापित की है । मूर्ति की भव्यता और चमत्कारिता का कई बार - प्रत्यक्ष परिचय मिला है। इस प्रतिमा को जैन-अजैन सब पूजते है । दन्त " कथा है कि यहाँ के पुजारी ने अपनी भक्ति से मूंछ युक्त भगवान के दर्शन उदयपुर के किसी राणा को करवाये जिससे मुछाला महावीर नाम प्रसिद्ध हुआ । मारवाड़ की छोटी पंचतीर्थी में नाणा, दीयाणा नांदिया वामण वाड़ा और अजारी तीर्थ हैं । वेड़ा, सोमेश्वर, राता महावीर, संवाड़ी, नाणा यह भी पंचतीर्थी है। राता महावीरः
एरनपुरा स्टेशन से १४ माइल दूर, बीजापुर से २।। मील जंगल में यह तीर्थ है । यहाँ सुन्दर प्राचीन २४ जिनालय का भव्य मन्दिर है । भगवान महावीर की सुन्दर लालरंग की २॥ हाथ ऊँची प्रतिमा है अतः यह राता. महावीर के नाम से प्रसिद्ध है। जालोर-स्वर्णगिरीः -
जोधपुर से ८० मील की दूरी पर स्वर्णगिरी की तलहटी में जालोर । सुन्दर नगर है । इसका प्राचीन नाम जावालीपुर हैं । नौवी शताब्दी से पूर्व