________________
Stre
e जैन-गौरव-स्मृतियाँ *
Ser
शाहजहाँ के पुत्र मुरादबक्ष--जो कि उस समय गुजरात का सूवेदार थ शान्तिदास सेठ को पालीताना पुरस्कार रूप में देने का फरमान जाहि किया था। बादशाह होने के बाद भी उस फरमान को पुनः ताजा क 'दिया था । . . ..
. .. ' वर्तमान में पालीताना के नरेश को. ६००००) वार्पिक जैनसंघ के ओर से दिया जाता है और आनन्दजी कल्याणजी की पेढ़ी इसकी सारं
व्यवस्था करती हैं। ... ... ...
.
समय २ पर अनेक
कय हैं । सैकड़ों
देवकुलिकाएँ, पगलिय
तीर्थ परिचयः :--- . :
. इस गिरिराज पर अनेक श्रद्धालु भक्तजनों ने समय २ पर अनेव प्रकार के निर्माण कार्य किये हैं । सैकड़ों मन्दिर, हजारों प्रतिमाएँ देवकुलिकाएँ, पगलिये, विश्रामस्थल आदि से यह सकल गिरिराज पूर्णतय माण्डत और अलंकृत है । शहर से एक मील पर दक्षिण में जय तलहर्ट है। वहाँ जिनपादुका और धनपतिसिंहजी का जिनमन्दिर है। वहीं भत्त तलहटी है जहाँ यात्रियों को नास्ता दिया जाता है । ३ मील के चढ़ाव के बाः दो भागों में विभक्त विशाल सपाट भूमि आती है वहाँ अनेक भव्य गगर चुम्बा मंदिरों से देदीप्यमान, दुर्ग के आकार के बँधे हुए नौ शिखर (टुक हैं। नौ शिनरों के नाम इस प्रकार हैं।
(१) आदीश्वर की दुक - (२) मोतीशाह की टुक (३) बालाभाई की ढुंव (४) प्रेमचन्द मोदी की टुक (५) हेमाभाई की टुक (६) उजमवाई की टुंक (७) साकरचंद प्रेमचंद की टुक (८) छीपावसही टुंक (6) चौमुखजी की टुक अथवा सवासोन की टुक ।
___ लाखों रुपये लगाकर इन टुकों के निर्माताओं ने अपने धर्म और कलाप्रेम को प्रकट किया है। गिरिशिखरों पर इतने भव्य मन्दिरों क निमाण कराना कितना असाधारण कार्य है ? परन्तु धर्मप्रेम और भक्ति से प्रेरित होकर पानी की तरह रूपच बहा कर जैनों ने इस गिरिराज को मन्दिर से ढंक दिया है । यहाँ जितने मन्दिर हैं उतने विश्व में कहीं नहीं है अत यह पालीताना मन्दिरों का शहर कहा जाता है । "The city_o