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________________ * जैन-गौरव स्मृतियां औ र 中学化学化学化的中长中的必然性中的化学学术性的中长 विसारत में मिली थी। आपने पुलिस वालों को देशभक्ति सिखानी शुरू की और इसी अपराध में महीने के लिए जेल भेज दी गई। उस समय इन्दुमती की आयु केवल १५ वर्ष की थी और गर्भवती आप अलग थीं। इस कच्ची अवस्था में आजादी भी वह धुन बहुत कम बहनों में पाई गई। बनारस के सरदारसिंहजी महनोत की धर्म पत्निश्रीमती सज्जनदेवी . महनोत भी सन् ३०-३१ के आन्दोलन में कलकत्त में जेल गई और कई बार गई. यहाँ तक की सन् ४० के व्यक्तिगत सत्याग्रह में जेल और सन् .. ४३ की नजरबन्दी भी आपको देशभक्ति की लगन को प्रमाणित करती हुई आई और चली गई । सन् ४६ में देश का स्वराज्य लेकर ही सज्जन बहन मुनोत जेल से बाहर आई। सरदारसिंह महनोत की भतीजी देवीवहन भी सर ३० के सत्याग्रह संग्राम में अपनी चार्चा सज्जनदेवी और सहेली सरस्वतीदेवी के साथ काम करती रही । भारत-माता की मुक्ति के लिए यह जैन-बाला उस अल्प आयु में दो बार जेल हो आई। देवी बहन के रहन-सहन की सरलता और विचारों में ओज भरा था । तब कौन जानता था इनका ससुराल भी प्रसिद्ध देशभक्त । पूनमचंदजी रांका के परिवार में नियोजित है। श्रीमती देवीरांका पूनमचंद . जी रांका के छोटे भाई को ब्याही गई । नागपुर जाकर भी देश सेवा में लगी रही और अब स्वर्गीय हो चुकी हैं। ... अजमेर के सुप्रसिद्ध काँग्रेसी श्री जीतमलजी लूणिया स्वयं देशभक्त रहे। आपकी पत्नी श्रीमती सरदार बाई लूणिया सन् १९३३ की ८ अगस्त को एक जुलूस का नेतृत्व करते हुए गिरफ्तार हुई। इन दृष्टान्तों से ही दुनिया देख सकती है कि भारत के स्वातंत्र्य संग्राम में जैन समाज की देन क्या कुछ कम रही होगी ? जिसके पर्दा-लुठित स्त्री-समाज ने ऐसा सतत सजीव नेतृत्व दिया और वर्षों तक का कठोर कारावास पाया। . - कलकत्ते के राष्ट्रीय जीवन में श्री विजयसिंह जी नाहर सर्वप्रथम हैं । आपने कानून का अध्ययन छोड़ कर सन् ३० के आन्दोलन को प्रात्मा HIKEKiraikikk३०८)Kokkkkkkkk
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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