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________________ जैन गौरव-स्मृतियाँ : है. सेठीजी के सुदीर्घ क्रान्तिकारी इतिहासकाल में अनेक जन-युवकों : : क्रान्तिकारी कार्यों में अपने आपको झोंका लेकिन उनका कोई लेखा . • पलब्ध नहीं है। . क्रान्तिकारी की चरम सफलता ही यह है कि वह सबकुछ करघर । हे भी अज्ञात रह जाय । - सन् ४२ का हमारी आजादी का अन्तिम आन्दोलन आसाम प्रान्त में श्री छगनलाल जैन, एम. ए., विशारद को सामने लाता है। श्री. जैन भूमिगत रहे, पकड़ में न आये और तोड़ फोड़ एवं समस्त प्रकार के गुप्त फ्रान्तिकारी,क्रियाकलापों को प्रगति देते रहे । यह जैन-युवक वहाँ से अंग्रेजी साम्राज्य को उखाड फेंकने में कुछ भी उठा नहीं रख रहा था। यह भी उस आसाम में जसकी सीमा से नेताजी की आजाद हिन्द फौज भी आही लगी ही थी। कलकत्ते के स्व० पद्मराज जैन को कौन भूल सकता है ? आपने : १६०२ में अमरावती में लोकमान्य तिलक को अपने यहाँ ठहरा कर कई . महीनों तक वरार प्रान्त में जन जागरण का सुयोग दिया। उनके साथ सूरत कांग्रेस से गये। सन १९२० की कलकत्ता कांग्रेस से ही आप महात्मा गांधी के साथी बने। विदेशी वस्त्र बहिष्कार से लेकर तिलक स्वराज्य कोप में लाखों रुपये आपके प्रयास से एकत्र हुए । सन् २१ के असहयोग आन्दोलन में आप ' वहीं से एक साल के लिए तत्कालीन देशभक्तों के स्वर्ग-जेल हो पाये । । सन् ३०-३१ का सत्याग्रह संग्राम श्री पद्मराज जैन की सुयोग्य सुपुत्री श्रीमती इन्दुमती गोयनका का सिंहनी रूप सामने लेकर आया । आप पहली सत्याग्रह नारी थीं जिन्होंने जेल जाने की परम्परा प्रारम्भ की। इन्दुमती बहन को अपने पूज्य पिता श्री पनराज जैन की सन् २१ की असहयोग आन्दोलन की देशभक्ति सन् ३१ के सत्याग्रह संग्राम के लिए ..
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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