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________________ >> जैन - गौरव स्मृतियाँ wat मुणोत नैणसी ARUN . '. आप मुणोत जयमल जी के पुत्र थे । आप न केवल एक चतुर शासक और बुद्धिमान दीवान ही हुए हैं परन्तु भारतीय साहित्य संसार में भी आपका गौरवपूर्ण स्थान है । संवत् १७१४ में महाराजा जसवन्त सिंह जी ने आपको अपना दीवान बनाया । महाराजा जसवन्त सिंह जी को मुगलसम्राट् औरंगजेब कभी किसी प्रान्त का और कभी किसी प्रान्त का शासक बना कर भेजता था तथा लड़ाइयों में जाना पड़ता V : था अतः महाराजा का प्रायः बाहर : ही रहना होता था । मुणोत नैणसी जैसे कुशल और बुद्धिमान दूरदर्शी के हाथों जोधपुर प्रदेश का शासन उन्हें सुरक्षित लगता था । उस समय औरंगजेबी अत्याचार और पडयंत्रों का बड़ा जोर था । राज्य में उपद्रव होते रहते थे । नैणसी ने बड़ी चतुराई से शान्ति स्थापन का कार्य किया । आपको कई लड़ाइयाँ भी लड़नी पड़ी थीं । रावत नाण सोजत के गाँवों में लूटमार कर रहता था उसे नैणसी ने दवाया । संवत् १७१५ में औरंगजेब से महाराजा की अनवन हो गई । इस कारण जैसलमेर रावल ने फलौदी पोकरण पर चढ़ाई की तब मुणोत नैणसी ने बड़ी बहादुरी से मुकाबला किया और विजयी रहे। आपने अपने राज्य की मदुम शमारी ( जनगणना ) भी कराई । भारतीय इतिहास में जनगणना की प्रथा के प्रारम्भकर्त्ता आप ही मालूम eeeeeeee (0) Kochoco
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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