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* जैन-गौरव-स्मृतियां
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... 'इस क्रांतिकारी परिवर्तन से जैन धर्मावलम्बियों की संख्या ही बढ़ी हो : : ऐसा नहीं, किन्तु इस 'महाजन संघ' में समावेशित व्यक्ति को भी महान् लाभ
हुए। शुद्ध आचरण बन जाने से उनकी विचार शक्ति प्रखर हो उठी, विचार । शक्ति प्रखर होने से वे उन्नति मार्ग के पथिक वते। अपनी उन्नति हेतु अनेक
मार्ग इन्हें दिखाई दिये । कई बड़े बड़े राज्य पदों पर प्रतिष्ठित हुए तो कई व्यापारार्थ विदेशों में निकल पड़े। इस प्रकार जहाँ २ ये गये वहाँ के निवासियों . ने इन्हें इनकी मातृभूमि के नाम से पुकारना प्रारम्भ किया। जैसे ओसियाँ " से ओसवाल, प्राग्वट से पोरवाडा, खंडेला से खंडेलवाल, अग्रोहा से. अग्रवाल . पाली से पल्लीवाल, बघेरा से बघेरवाल, आदि २ :: :. ::