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Sisnet जैन-गोरवस्मृतियां *
Barbon being the product of oxidetio ial digestion, which require, oxygen to escap: out It is pure materialorganism- . : .
पदार्थों की उत्पत्ति के विषय में वैशेषिक, जैन तथा यूनानी दार्शनिक ही विज्ञान की आधुनिक उन्नति के आधार हैं । डाल्टन का अणुसिद्धान्त इन्हीं का स्पष्ट विवेचन है। "Electron is the universal constituent of matter" यह विज्ञान का आज का निर्णय है, जो स्वयं ही जैनियों के परमाणु की व्याख्या है। जैनों का परमाणु विज्ञान का अविभाजित (?) (elect: on.) है । आधुनिक विज्ञान के अनुसार पदार्थ स्कन्धों ( Molecules ) से, स्कन्ध अणुओं ( A toms ) से तथा अणु परमाणुओं (electrons ) से बना है । जैनागम में भी इसी प्रकार पदार्थ को चार : विभागों-स्कन्ध, देश, प्रदेश, परमाणु-में विभाजित किया गया है । इस तरह. परमाणुवाद का सिद्धान्त पूर्णतया आधुनिक वैज्ञानिक तथ्यों पर स्थित है । संक्षेप में हम यह कह सकते हैं कि आधुनिक विज्ञान के पदार्थ और शक्ति दोनों पुद्गल द्रव्य से गृहीत होते हैं, इसलिए पुद्गल द्रव्य की सत्यता विज्ञान मानता ही है। ...
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स--अमूत्तेद्रव्य . .. .... ज्ञान और दर्शन जीव का लक्षण है । आत्मा में ही पुद्गल के माध्यम द्वारा सुख दुःख का अनुभव होता है । यह द्रव्य है क्योंकि उत्पाद, व्यव
___और ध्रौव्यत्व इसमें पाया जाता है । आत्मा अपने परिमाण में ...आत्मा . हानि और वृद्धि ( संकोच और विस्तार ) करने की शक्ति
रखता है। चींटी ओर हाथी के शरीर में समान प्रदेश वाली आत्मा निवास करती है। आत्मा की अनन्त शक्ति है । आत्माएँ अनन्त हैं । यह अमूर्त हैं । इसकी सत्ता इसके कार्यों से सिद्ध हो सकती है, प्रत्यक्ष नहीं। . .
.. प्राणापाननिमेषोन्मेष.जीवन मनोगति क्रियान्तरविकाराः ...... सुख दुःखेच्छा द्वेष प्रयत्लाश्चात्मनो लिङ्गम् (वै. सु.).