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जैन- गौरव स्मृतियां
रहता है, जिसके कारण वह रेडियम और अन्त में सीसा ( Lead ) में परिणत हो जाता है, जिसके गुण साधारण सीसा धातु में मिलते हैं । स्पष्ट ही यह 'गलनार्थक' प्रवृत्ति है | Isol bes भी इस विषय में कुछ सहायता करते हैं । बंधकता की परिभाषा भी, इसी प्रकार पदार्थों में पूरकत्व शक्ति प्रदर्शित करती है ।
यहाँ एक बात ध्यान में रखने योग्य है कि पुद्गल से हमारे आचार्यों ने पदार्थ ( mett.) तथा शक्ति ( ene gy ) दोनों का ग्रहण किया है । जिसका अर्थ यह हुआ कि शक्ति भी भार आदि गुणों से सम्पन्न है । आज विज्ञान भी यह मानता है । शक्ति में भार एंव माप दोनों हैं । Energy is not weight'e-s, but it has a definite was भार एवं शक्ति के क्या सम्बन्ध है, इस विषय में यह ( Formula) गुरु प्रसिद्ध ही है:
i
i = mass X ( Velocity of light ) 2
तात्पर्य यह है कि पदार्थ और शक्ति दोनों का एक ही से ग्रहण होता है और एक हैं ।
विज्ञान के अनुसार वस्तु के विविध गुण हैं; जैसे पृथ्वी (solid) के भार (de sity) स्थितिस्थापकता (lo ticit), तापयोग्यता (Het Conducti vity) आदि; जल (Liquid) के सानुता (viscocity) पृष्ठवितति (Surface tension) आदि; वायु ( 28 ) के प्रसरण प्रवृत्ति (Expensibility) आदि । स्पर्श के चार युगल (१) हल्का-भारी (२) मृदु कठिन (३) शीत-उष्ण ( ४ ) स्निधरून स्पष्ट ही ये गुण बतलाते हैं। चार रस तो विज्ञान स्पष्ट ही मानता है ।
Four tastes have been distinguished; salt swet, sour and bitter. Sweet things are best appreciated at the tip of the tongue while bitter at the back"
E. E. Hewer
रसों की भिन्नता का कारण है, पदार्थों में 'हाइ ड्रो कार्बन्स' की विशेष स्थितिः। गंध के विषय में तो कोई विवाद ही नहीं है । ..
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