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________________ ८५६ मद्रास प्रान्त | . यहांके खेतो में दो दिगम्बर जैन मूर्तियां खोदनेसे मिली हैं। इनमें से प्रतिमा की अवगाहना पद्मासन ४॥ फीट ऊंची यज्ञोपवित धारणकी हुई है। वहां के शिवमन्दिर एक दिवालमें विराजमान हैं । दूसरी प्रतिमा यहांसे उठाकर 'कोभारपनयाक्लान' पेढेमें एक धर्मशाला के आंगन में स्थापना की है । यह ग्राम 'तिरुवंडिपुरम्' के निकट है यह प्रतिमा भी ४ ॥ फीट ऊंची पद्मासनस्थ विना यज्ञोपवीतके है । तिरुवाडीके शिवके मन्दिरमें प्राचीन कालके 'गंगापल्लव, पाण्ड' और 'चोल' आदि कई राजाओंके शिलालेख पाये जाते हैं । तंजोर | यह नगर कावेरी के डेल्टा (शाखा) के निकट इंडियन रेलवेपर बड़ा स्टेशन है । इसके आस पास खेतोंको पानी देनेके वास्ते वहुतसी नहरें बनी हुई हैं। तंजोर 'चोलवंश' के राजाओं की सबसे आखिरी राजधानी थी, उसक बाद 'विजयानगरकी तरफसे नायक इसका हाकिम हुआ । १६५६ और १६७५ के बीचम मरहठोंके हाथमें रहा । १७७८ में तंजोरकी रियासत अंग्रेजों के हाथ आगई और शिवाजीके मरनेके बाद राजधानी भी १८८५ में अंग्रेजों के हाथमें आगई । तंजोरमें दिगम्बरियोंके १४ घर हैं जिनकी जनसंख्या ७६ है । एक प्राचीन दिगम्बर जैनमंदिर भी है । यह शहर मन्दिरों के कारण बहुत प्रसिद्ध है, सबसे बड़े मंदिरक दो आंगन हैं, एक तो बाहर जो २५० फीट चौकोर और दूसरा अंदर जो ५०० फुट चौड़ा है इसीके बीचमें मन्दिर है जिसके बीचका बुर्ज हिन्दुस्थान में सब बुजसे सुन्दर हैं इस बुर्ज का घेरा नीचे ९६ फुट तथा ऊंचाई २० फुट है, चोटी पर पत्थरका बड़ा गोल गुम्बज रक्खा है, कहते हैं कि इस गुम्बजके पत्थरके चढ़ानेके लिये ५ मील जमीन ढालू की गई थी । दरवाजेकी बुज मन्दिरके सब हिस्सोंसे प्राचीन है और शिवजीके नामपर है इसको कजीवके एक राजाने १३३० ई० में बनवाया था । बड़े दरवाजे और मन्दिरके बीच में शिवजीका बैल नन्दीका मंदिर है। वैलकी मूर्ति पक्के पत्थरको काटकर बनाई है, यह मूर्ति १६ फुट लम्बी- १२ फुट ऊंची है इस मूर्तिको प्रतिदिन तैल मले जानेके कारण पीतल सरीखी चमकती है मंदिरमें विचित्र बात यह है कि, कंगूरोंपर तो विष्णुकी मूर्तियां बनीहैं पर आंगन में शिवजीकी मूर्तियां बनी हैं। - बड़ी बुर्जके उत्तरकी ओर शिवजीके पुत्रका मन्दिर है, इसपर बेलबूटेका बड़ा सुन्दर काम किया हुआ है, इसकी बाहिरी दीवालमें पानीका एक नलहै, जिसका पार्न
SR No.010495
Book TitleBharatvarshiya Jain Digambar Directory
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakurdas Bhagavandas Johari
PublisherThakurdas Bhagavandas Johari
Publication Year1914
Total Pages446
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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