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________________ वम्बई अहाता। ७८९ महाराजकी लायब्रेरी, सुन्दर मकान और रुई कातने की कलें, कपडा बुनने की :मिलें, देखने योग्य है। बडौदामें कपास, और कपड़े का व्यापार अधिक होता है। बादामीके गुफामन्दिर । वम्बई अहातेके वीजापुर जिलेमें तालुकाका सदर स्थान वादामी एक छोटासा कसवा और 'मद्रास-सदर्न मराठा रेल्वे लैनकी गदग शाखापर स्टेशन है । स्टेशनसे वादामी गांव करीब १॥ मील रह जाता है। _वादामी गांवक पास करीब १॥ मील दक्षिण तथा पूर्वमें दो प्राचीन पहाड़ी किले हैं । दक्षिणवाली पहाड़ीके पश्चिमी वगलमें छठी सदीके बने हुए हिंदुओंके तीन गुफामन्दिर और जैनियोंका एक गुफामन्दिर है । जिनके कारण वादामी प्रसिद्ध है। वादामी गांवमें दिगम्बर जैनियोंकी वस्ती बिलकुल नहीं है। पहाड़पर चढ़नेसे प्रथम 'महादेवका गुफामन्दिर आता है । यह मामूली मन्दिर है । पहिले गुफामन्दिरसं दूसरे गुफामन्दिरको सीढ़ियां गई हैं । अगवासमें उत्तर मुखकी ४ मेहरावं हैं। इस गुफामन्दिरमें मुख्य स्थानपर मूर्ति नहीं है, परन्तु इसके पश्चिम भागमं 'वामनी' की बहुत बड़ी और पूर्वो वगलमें 'वराह की साधारण पाषाणमें खुदी हुई मूर्ति है। तीसरा गुफामन्दिर यहांकी सब गुफाओंसे उत्तम है । इस मंदिरमें कारीगरने अपनी शिल्पचातुर्यका अच्छा परिचय दिया है। इसमें मूर्ति नहीं है । मध्य भागमें छत्तपर नवग्रहोंकी मूर्तियाँ हैं । इसमें ८ स्तंभ हैं जिनमें खुदाईका काम बहुत अच्छा है । इस गुफामन्दिरके पूर्व वगलकी वाह्यांगपर पत्थर निकाल कर विष्णु, शेपशाई, वराह आदि देवताओंकी मूर्तियां तथा पश्चिम तथा दक्षिण वगलमें वामन, नरसिंह, परुषराम आदिकोंकी मूर्तियां बनाई हुई दर्शनीय हैं। तीसरी गुफाके पूर्व ७ फीट ऊंची दीवार है, जो चौथी गुफाको जुदा करती है यह चौथी गुफा खास जैनगुफामन्दिर है । ये गुफामन्दिर सबसे ऊंचा है, और मन्दिर छोटासा है तो भी उसमें चार दहलान हैं । अन्दरके दहलानमें श्रीजिनेंद्र देवको मूर्ति करीब ३ फीट ऊंची पद्मासन सिंहासनाधिष्ठित है जिसकी दोनों वगलोंमें इन्द्र चनर लेकर खड़े हैं।
SR No.010495
Book TitleBharatvarshiya Jain Digambar Directory
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakurdas Bhagavandas Johari
PublisherThakurdas Bhagavandas Johari
Publication Year1914
Total Pages446
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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