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________________ ७४४ बम्बई अहाता। आदि ग्राम हैं । अचलूरमें एक प्राचीन पत्थरका बना हुआ मन्दिर है, जिसमें वेदिका आदि जैन मन्दिरके चिन्ह पाये जाते हैं, वर्तमानमें इसमें महादेवजीकी मूर्ति है। एक और मन्दिर जंगलमें है परन्तु उसमें प्रतिमा नहीं है। __ आष्टा ग्राममें एक अति प्राचीन चैत्यालय है । इसमें मूलनायक श्रीपार्श्वनाथ स्वामी की प्रतिमा चौथे कालकी कृष्ण पाषाणकी करीब २ फुट ऊंची पद्मासन विराजमान है, इसके नीचे एक अस्पष्ट शिलालेख है। तो भी उसकी प्रतिष्ठा या मन्दिरका जीर्णोद्धार का शक ५२८ मालूम होता है । करीव २५ या ३० वर्ष पूर्वमें 'हिरोली' निवासी शेठ 'लीलाचन्द हेमचंदने' इसका कुछ जीर्णोद्धार कराके दो प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा कराई थी। इस समय यह मन्दिर जीर्ण होनेसे गिरने लगा है। पूजनप्रक्षाल रोज होती है। यहांके निर्माल्यकी आमदनी करीब ७००) रु० हैं । इस निर्माल्य द्रव्यसे पुजारी अपन निर्वाह करता है । प्रत्येक वर्ष में यात्री करीब दो हजार के लगभग आते हैं। शोलापुर जिलेमें इसकी अत्यन्त प्रसिद्धि है लोग इसको विघ्नेश्वर पार्श्वनाथ नाम लेकर कहते हैं। - - ईडर। बम्बई प्रान्तके महीकांठा जिलेमें, एक छोटे रजवाड़ेकी राजधानीमें ईडर कस्वा है। ईडरमें पहिले रेल नहीं थी परन्तु अब रेल्वेस्टेशन होगया है । यह अतिशय क्षेत्र गुजरातमें है। यहांपर बहुत प्राचीन जैनमन्दिर और प्रतिमाएँ हैं। मन्दिरों की संख्या ६ है। सबसे बड़ा आर प्राचीन मन्दिर श्रीशान्तिनाथस्वामीका है । हूमड़ों के अनुमान १४० घरों की मनुष्य संख्या ३०० है । पहिले जैनियों की बड़ी भारी बस्ती थी। एक दि० जैनपाठशाला बम्बई निवासी श्रीमान् शेठ 'माणिकचंद लाभचंदजी' की ओरसे है, पाठशालामें लड़के और लड़कियाँ पढ़ते हैं । पं० नन्दनलालजी अध्यापक पढ़ाते हैं। ईडरमें भट्टारककी गद्दी है, कई वर्षोंसे सुयोग्य आदमी न मिलनेसे गद्दी खाली है। एक प्राचीन शास्त्र भंडार है जो कई वर्षोंसे नहीं खुला है, भंडारकी सम्हाल न होनेसे सैकड़ों अलभ्य ग्रंथ नष्ट होगये और हो रहे हैं। ईडर नरेशका महल देखने योग्य है। , ईडर से तीन चार कोसकी दूरीपर 'पोहीना' नामक ग्राममें दो प्राचीन जैनमन्दिर हैं । मन्दिरका प्रबंध पोहीना निवासी ही करते हैं। . . .
SR No.010495
Book TitleBharatvarshiya Jain Digambar Directory
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakurdas Bhagavandas Johari
PublisherThakurdas Bhagavandas Johari
Publication Year1914
Total Pages446
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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