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बंगाल - बिहार |
शोभा देखने योग्य है जहां तहां गगनचुम्बित वृक्ष अनेक हैं, पुष्पांकी सुगंधिता के कारण चारों ओर भ्रमर गुंजार करते हैं । यहां के उद्यानके मध्य में एक मुख्य और चार दि० जैनमन्दिर हैं जिनकी कारीगरी देखने योग्य है ।
मुख्य मन्दिर में श्रीऋषभनाथके चरण और उत्तराभिमुख श्रीपार्श्वनाथस्वामीकी प्रतिमा विराजमान है । प्रतिमा खंडित है । पर्वतसे दक्षिणकी ओर उतरनेका मार्ग बहुत तंग है | पहाड़की तलेटीमें एक छोटासा नाला है, इसको छोड़कर पूर्व बाजूमें 'श्रमणगिरि' पर चढ़नेका रास्ता है, यहां तीन मन्दिर हैं, ऊपरके मन्दिरकी बेदीमें - श्री अजितनाथ और शान्तिनाथस्वामीकी प्रतिमाएँ विराजमान है, जो कि खंडित हैं, तथा श्रीवासुपूज्य स्वामीकी चरणपादुका है ।
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इस पहाड़की तलेटीमें एक विस्तीर्ण मैदान है, जहांकि राजा श्रेणिकके महलोंके निशानात पाये जाते हैं । बगीचेमं पुष्करणी ( बावड़ी ) थी वह भी इस समय यहां पाई जाती है । इसके थोड़ी ही दूर 'व्यवहारगिरि' ( वैभारगिरि) नामक पंचम पहाड़ है । ऊपर चढ़नेका रास्ता खराव है, जो एक गुफाके नजदीक से ही जाता है । इस गुफा के - पूर्व भाग ४ मुखवाली एक बुद्धदेवकी मूर्ति है गुफाके द्वारपर टूटी हुई २ छोटी मर्तियां पड़ी हैं । द्वारपर घिसाहुआ एक शिलालेख है । बौद्धलोग सोनभंडारको बहुत पवित्र - मानते हैं, कहते हैं कि इस स्थानपर सन् ईस्वीसे ५४४ वर्ष पहले बुद्धदेवकी मौजूदगी में 'इनके चेलोंमें ५०० आदमियोंने इकट्ठे होकर धर्मसभाकी थी और यही बौद्धलोगोंका पहला जल्सा कहलाता है । इस गुफाकी छतमें एकद्वार है, जो इस समय बंद है, कहते हैं कि इसमें राजा श्रेणिककी अपार सम्पत्ति रक्खी है, इस द्वारको खोलनेका प्रयत्न सरकारकी तरफ से हुआ था पर कुछ फल नहीं निकला । पर्वतपर तीन जिनमन्दिर हैं । एकमें श्रीचन्द - प्रभस्वामीकी प्रतिमा विराजमान है, और दूसरे में श्री अजितनाथ और ऋषभनाथकी प्रतिमा बेदीपर विराजमान है, तीसरे मन्दिरमें श्रीपार्श्वनाथस्वामीकी चरणपादुका है और एक प्रतिमा भी विराजमान है, सर्व प्रतिमाएँ खंडित हैं। इन मन्दिरोंसे एक मीलपर - गणधरस्वामी के चरणों सहित एक मन्दिर है । इन पाचों पहाड़ों और तलेटीमें ब्राह्मणोंके कई मन्दिर हैं। कार्तिक माह में यहां बड़ा भारी मेला भरता है, जैनमन्दिरोंको भी हिन्दू पवित्र मानकर दर्शन करते हैं ।
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श्रावक पहाड़ |
गयाजीके निकट रफीगंजसे ३ मील पूर्व यह श्रावक नामका पहाड़ करीब पाव मील ऊंचा एक:ही शिलाका मनोहर है, वृक्ष नहीं है, किनारे २ अनेक शिलाएँ है । इसके