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________________ ३२२ मध्यप्रदेश | जगह से उन्नति दशामें हैं। पर इस मन्दिरके पास बहुत अत्याचार करते हैं और लोगों में धर्माची बहुत कम है । पहिले यह ग्राम बलभद्र सिंघके हाथमें था पर सन १८५७ सालकी गदर में सरकारने उससे छीन लिया और कन्हय्यालाल तिवारीको ३२ ग्रामोंके साथ बक्षिसमें दिया है । सागर । Forgang यह शहर जिला सागरका सदर मुकाम बिना कटनी रेलवे लाईनपर स्टेशन है। यहांकी आबादी अनुमान ४५००० है जिसमें दिगम्बर जैन १०२७ हैं । यहांपर एक बड़ा तालाब है जिसके कारण इस शहरका नाम सॉगर पड़ा। यहांपर एक किवदन्ती सुननेमें आता है कि, एक वंजारको स्वप्न हुवा और उन्होंने अपना लड़को और लडकी उस सागरपर भीतीमें चिन दिया उस दिनसे उक्त तालाब जलसे - बहने लगा | यह तालाब अनुमान ५ मीलके घेरेमें है। इसके किनारे सुंदर घाट तथा मन्दिरजी बने हुए हैं । इसके पासही एक किला मराठोंका बनवाया हुआ है। यहांपर सब प्रकारका व्यापार अच्छा होता है । इस शहर के चारों ओर पहाड़ है और बहुत ऊंचा नीची जगह में बसता है । यह शहर मध्यप्रदेश के बड़े शहरोंमेंसे है । यहांपर दिगम्बर जैन मन्दिर कुल ३७ हैं जिसमें १ चैत्यालय है । और गृह २२७ दो दि० जैन पाठशाला तथा पांच धर्मशाला हैं मन्दिरों में ७५० धर्मशास्त्र हैं । यहाँपर एक सरस्वती वाचनालय खुल गया है इसमें हर प्रकारके समाचार पत्रोंका तथा पुस्तकोंका संग्रह हुआ है । और लाला चुन्नीलाल रज्जूलालजी तथा कारेलाल कुंदनलाल बड़े सुज्ञ और धनवान पुरुष यहां हैं । सिवनी (छपारा ) 06:0:10 यह नगर जिला और तहसीलका सदर मुकाम है और उस पुरानी सड़कपर बसा हुआ है जो कि नागपुर से जबलपुरको उत्तरकी दिशाको जाती है और नैनपुर जंक्शन से जो रेलवे (B.N. By ) लैन जिला छिंदवाडाकी गई है खास उसी लैन में स्टेशन है । यहांकी मनुष्यसंख्या १२००० है जिसमें दिगम्बर जैनियोंकी ३५७ है । ऊपर लिखे आम्नायके यहांपर गृह ५४ हैं और २१ शिखरबन्द मन्दिरजी हैं जो 1
SR No.010495
Book TitleBharatvarshiya Jain Digambar Directory
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakurdas Bhagavandas Johari
PublisherThakurdas Bhagavandas Johari
Publication Year1914
Total Pages446
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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