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मध्यप्रदेश । सावनी सहित रामटेकको रामचंद्रजीके दर्शनके लिये आये थे । राजाने रामचंद्रजीका दर्शन करनेके बाद भोजन किया और अपने मंत्री वर्धमान सावजीको भोजनके बाबतमें प्रश्न किया तब उन्होंने जबाब दिया कि महाराज में दिगम्बर जैन हूं और जिनेंद्रका दर्शन करनेके बाद भोजन करता हूं । तब राजाने अपना हाथी देकर उसको कामटीको जाई दर्शन करनेको हुकम दिया परन्तु सावजीने कहा कि जो यहांपर रामचंद्रजीका मन्दिर है तौभी जिनेंद्रका मन्दिर भी यहांपर होना संभवनीय है कारण रामचन्द्रजी परम जैनी थे ऐसा हमारे शास्त्र में लिखा है । तुरन्तही महाराज आप्पासाहबने रानटी लोगोंको बुलाकर नमदेवके बावदमें पूछा तब मालूम हुआ कि जंगलमें एक नग्न देवका मन्दिर बहुत घना झाडीमें मौजूद है। यह सुनकर सावजीने उस झाडीको काटनेको हुकम दिया और दूसरे दिन जिननाथका दर्शन लिया।
कुछ दिन पीछे यह जंगल सावजीने बक्षिसमें मिलवाया और पूजन प्रक्षालका इन्तजाम अच्छी तरहसे कर दिया जो आजतक चला आया है।
यहांपर प्रतिवर्ष में कार्तिक शुद्ध १२ से १५ तक बड़ा भारी मेला लगता है। जिसमें आमदनी करीब ५००-६०० रुपय्याकी होती है हालमें इसका प्रबन्ध नागपुरके लार्ड पंचोंके हाथमें है और उनके तरफसे पंडित बिहारीलालजी देख भाल करते हैं।
रामटेक पानोंके लिये बहुत मशहूर है।
रेहली-पटनागंज।
जिला सागरमें रेहली तहसीलका सदर मुकाम है । और दिहार और सोनार नदीका यहांपर संगम हुआ है इसकी आबादी अनुमान ३७००है जिसमें जैन दिगम्बर अम्नायकी मनुष्यसंख्या १३४ है । एक पुराना किला जो अहिर राजाने बनवाया था हालमें गिरा हुआ है । कसबा रहेलीम हिंदुओंके तथा जैनियोंके बहुत सुंदर मन्दिरजी हैं जिसमें पंढलपुर पंढरीनाथका मन्दिरजी और जैन दिगम्बर आम्नायके दो शिखरबन्द मन्दिरजी देखने योग्य हैं । दिगम्बर जैनियोंके यहांपर ४०: गृह हैं तथा १०३ धर्मशास्त्र हैं। थोडी दूरपर पटनागंजमें १८ शिखरबन्द मन्दिरजी हैं जिनमें मूलनायक श्री वीरनाथजीका मन्दिर १५ वीं सदीका बनाहुआ है और प्रतिमा ९ फूट ऊंची विराजमान है। एक सहस्रकूट चैत्यालय और नन्दीश्वर द्वीपका मन्दिरभी है । ये सब मन्दिर परको