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श्रीभगवती सूत्र
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नरक की जघन्य स्थिति दस हजार वर्ष की है । जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति के बीच की समस्त स्थिति मध्यम स्थिति कहलाती है । दस हजार वर्ष से एक समय अधिक से लेकर तेतीस सागरोपम से एक समय कम तक की स्थिति मध्यम समझनी चाहिए।
___ इसके पश्चात् गौतम स्वामी प्रश्न करते हैं कि-भगवन् ! नरक के जीव क्या श्वासोच्छ्वासभी लेते हैं भगवान् ने इस प्रशं का उत्तर हाँ में दिया है । तव गौतम स्वामी पूछते है कि उनको श्वासोच्छ्वास कितने समय में होता है ? इस प्रश्न का उत्तर यह दिया गया है कि पराणवणा सूत्र में इसका वर्णन किया है, वहाँ से जान लो।
____ इस प्रश्नोत्तर में 'प्राणमंति' और 'पाणमंति'शब्द आये हैं । इनका क्रमशः अर्थ है-श्वास लेना और छोड़ना । शरीर के भीतर हवा खींचने को प्राणमन या श्वास लेना कहते हैं और शरीर के बाहर हवा निकालने को प्रागमन या श्वास छोड़ना कहते हैं।
किसी-किसी प्राचार्य के मत से श्वासोच्छवास दो प्रकार के होते हैं-एक आध्यात्मिक श्वासोच्छ्वास और दूसरा बाह्य श्वासोच्छवास । आध्यात्मिक श्वासोच्छ्वास को आगमन और प्राणमन कहते हैं और वाह्य को उच्छवास-नि:श्वास. कहते हैं।
श्वास की क्रिया में समस्त योग का समावेश हो जाता है । जो महाप्राण पुरूप श्वासोच्छ्वासः को समझ लेता है