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(४)
. (४) मण्डल के नियमोपनियम से परिचित होकर. उसा के सभ्य बनाना व इसकी प्रवृत्तियों को सहकार दिलाना है
__ यह बात तो निश्चित है कि कामधेनु अमृतमय दूध आदि देकर हमारा पोषण करती है, हमें सुख देती है परन्तु वह भी खुराक मांगती है। यदि हम उसे. उचित खुराक नहीं दें तो वह हमारा पोषण कहां तक करेगी। इसी तरह मण्डल को भी आपके
आर्थिक एवं अंग सेवा रुपी सहकार की आवश्यकता है। यदि श्राप, पूर्ति करते रहेंगे तो उसके मिष्ट फल प्रापको प्राप्त होते रहेंगे। मैंने अपनी पति एवं पुत्रों को भी मण्डल के सम्य बनाये हैं तथा अन्य प्रकार से भी शक्य सहकार देता हूँ | इसी प्रकार आप सब वाचकों से मण्डल के सभ्य बनने तथा बनाने के लिए: मैं आप से अपील करता हूँ।
इत्यलम् । भवदीयः ।
ताराचन्द गेलड़ा, मद्रास
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