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________________ [३५७] एकार्थ-अनेकार्थ __ तो क्या शाक-भाजी का छिदना, भाले से किसी चीज़ का भिदना, घास-फूस का जलना, मर जाना और जजेरित होना भी तस्वरूप है ? इसका उत्तर है-हाँ, अवश्य । विना तत्त्व की कोई बात ही नहीं है । संसार के समस्त पदार्थों का जिन-प्रणीत तत्त्वों में समावेश हो जाता है। ऐसा कोई पदार्थ विद्यमान नहीं, जो तत्व से पहिर्भूत हो। शंका-विना तत्व की कोई बात नहीं है, इसे स्पष्ट कीजिए? समाधान पहला पद 'चलमाणे चलिए' है। इसके विरुद्ध जो 'चलमाणे प्रचलिए' कहता है उसे निश्चयनय का शान नहीं है । यदि 'चलमाणे' को 'चलिए' न कहा जाय तो निश्चयनय उठ जाता है। अतः निश्चयनय का शान कराने के लिए ही उक्त नौ पद कहे गये हैं। यह वात तनिक और स्पष्टता से समझाई जाती है। कल्पना कीजिए-एक मनुष्य कह रहा है कि अमुक पुरुष कलकत्ता की ओर चल रहा है। अव उसे 'गया. हुश्रा' कहें या नहीं गया हुश्रा' कहें ? अभी उस पुरुष ने कलकत्ता की और एक ही पैर उठाया है, वह कलकत्ता पहुँचा नहीं है। कलकत्ता सौ योजन दूर है। चला कम है और चलना अधिक है। ऐसी दशा में उसे गया कैसे कहा जाय ? जो ऐसा प्रश्न करता है उसे व्यवहार का शान तो है, पर निश्चय का ज्ञान नहीं है । ज्ञानी जन निश्चय की अपेक्षा जो कथन करते है, उसका प्रश्नकर्ता को भान नहीं है । इस
SR No.010494
Book TitleBhagavati Sutra par Vyakhyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherSadhumargi Jain Shravak Mandal Ratlam
Publication Year1947
Total Pages364
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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