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श्रीभगवती सूत्र
E ] मूलार्थ-प्रश-भगवन् ! असंजी का ग्राम्य कितने प्रकार का कहा है ?
उत्तर-गौतम ! असंज्ञी का आग्रुप्य चार प्रकार का कहा है, वह इस प्रकार-नैरपिक-अंसंज्ञी-प्रायुष्य, तिर्यंच असंजी-आयुष्य, मनुष्य-मंजी-आयुप्प, देव-संतीआयुष्य
प्रश्न-भगवन् ! क्या असंज्ञी नारकी की आयु उपार्जन करता है ? और तिर्यंच की, मनुष्य की तथा देव की आयु उपार्जन करता है ?
उत्तर-गौतम ! हाँ, नारकी की आयु भी उपार्जन करता है, और तिर्यंच की, मनुष्य की अथवा देव की आयु भी उपार्जन करता है। नारकी की आयु-उपार्जन करता हुआ असंज्ञी जीव जघन्य दस हजार की और उत्कृष्ट पल्योपम के असंख्यातवें भाग की उपार्जन करता है । तिर्यंचयोनि की आयु उपार्जन करने वाला असंज्ञी जघन्य अन्तर्मुहर्त की और उत्कृष्ट पल्योपम के असंख्यात भाग की उपार्जन करता है, मनुष्य की आयु भी इतनी ही