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________________ [३१६] चलमाणे चलिए · पाहिज्जमाणे पहीणे ? अर्थात्-जो गिरता है-एतित होता है, वह गिरा, पतित हुश्रा, ऐसा मानना चाहिए? आत्मप्रदेशों के साथ जो कर्म एफमेक होगये हैं, उन्हें गिराना-हटाना 'प्रहाण कहलाता है। आत्म-प्रदेशों से कर्म को गिराने में भी असंख्य समय लगते हैं। परन्तु पहले समय में जो कर्म गिर रहे हैं, उनके लिए 'गिरें' यह कहा जा सकता है? पहले प्रश्न में जिन युक्तियों का उल्लेख किया गया है, वही युक्तियाँ प्रत्येक प्रश्न के संबंध में लागू होती हैं। उनका संबंध सब के साथ जोड़ लेना चाहिए। - गौतम स्वामी का पाँचवाँ प्रश्न है: छिज्जमाणे छिन्ने ? अर्थात्-जो छेदा जा रहा है वह छिदा, ऐसा कहा जासकता है? 'छिज्जमाणे का अर्थ है वर्तमान काल में जिसका छेदन किया जा रहा है । कर्म की दीर्घ काल की स्थिति को अल्पकाल की स्थिति में कर लेना, छेदन करना कहलाता है। यद्यपि कर्म रही है, लेकिन इसकी स्थिति को कम कर लेना 'छेदन' है। उदाहरणार्थ-एक मनुष्य वारह वर्ष के लिए जेल गया । लेकिन राजा के यहाँ पुत्र-जन्म होने से था कोई अच्छा काम करने से कैद की मियाद घटा' भी दी जाती है। इसी प्रकार कर्म की स्थिति बहुत है, लेकिन अपवर्तना नामक करण द्वारा कर्म की स्थिति को कम कर लेंना उसका छेदक फरता कहलाता है।
SR No.010494
Book TitleBhagavati Sutra par Vyakhyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherSadhumargi Jain Shravak Mandal Ratlam
Publication Year1947
Total Pages364
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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