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संसार संस्थानकाल
है ? इसका उत्तर यह है कि कोई नारकी अन्तक्रिया करते हैं, यह कथन भविष्य की अपेक्षा से है। इस कथन द्वारा यह प्रकट किया गया है कि नारकियों में भी अंतक्रिया करने की शक्ति विद्यमान है, मगर उस शक्ति की अभिव्यक्ति नारक भव में होती नहीं है। नारक जीव मनुष्य पर्याय पाकर ही अंतक्रिया करते है।
जीव में जब तक कर्म-बंध का सद्भाव रहता है, तव तक वह अंतक्रिया नहीं करता, कर्म शेष रहने से कोई-कोई जीव देवपर्याय में भी उत्पन्न होता है, अतएव अब देवता सम्बन्धी प्रश्न उपस्थित होता है।
इस विषय में गौतम स्वामी ने चौदह प्रश्न किये हैं '. और भगवान् ने अनेक उत्तर दिये हैं। इसका वर्णन आगे
दिया जाता है।