________________
[ ६८७ ]
संसार संस्थानकाल
प्रकार - अशून्यकाल और मिश्रकाल | मनुष्यों और देवों के संसारसंस्थान काल के प्रकार नारकियों के समान ही समझने चाहिए ।
प्रश्न- भगवन् ! नारकियों के संसारसंस्थान काल के तीन शून्य - शून्य और मिश्र कालों में कौन किससे कम, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक है ?
उत्तर - गौतम ! सब से कम शून्य काल है, उससे मिश्रकाल अनंतगुना है और उसकी अपेक्षा भी शून्य काल " अनंतगुणा है ।
तियंच संसार संस्थान काल के दो भेदों में से सब से कम अशून्य काल है और उसकी अपेक्षा मिश्रकाल अनंतगुणा हैं।
मनुष्यों और देवों के संसार संस्थान काल की न्यूनाधिकता नारकियों के संसार संस्थान काल की न्यूनाधिकता के समान ही समझना चाहिए ।
प्रश्न -- भगवन् ! नारकियों के, तीर्यंचों के, मनुष्यों के और देवों के संसार संस्थान कालों में कौन किससे कम, ज्यादा, तुल्य या विशेषाधिक है ?