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श्रीभगवती सूत्र
[६८८ ] बढ़ते हैं। आज चोरी का एक उपाय दिवाला निकालना भी है। सिक्के की कृपा से चोरी के अनेक शिष्टसम्मत तरीके ईजाद हुए हैं। सिक्के के अभाव में कोई संग्रह करता भी तो धान्य का संग्रह करता । पर धान्य का कितना संग्रह किया जा सकता है ? सिवा खाने के वह और किस काम आ सकता हैं ? लेकिन सिके तो ज़मीन में गाड़ कर रखें जाते हैं। - प्रश्नव्याकरण सूत्र का तीसरा द्वार देखो तो पता चलेगा कि वास्तव में चोर कौन है ? टाल्स्टाय के प्रन्थ देखने से पता चलता है कि भगवान महाचीर के अधिकांश उपदेश उसकी बुद्धि में उतर गये थे।
तात्पर्य यह है कि लेश्या की शुद्धता के लिए वस्तु-तत्त्व) का और अपने अन्तःकरण का गंभीर निरीक्षण करते रहना चाहिए । सदा अपनी चौकसी करने वाला आत्मशुद्धि की ओर शीघ्रता से प्रगति करता है। .
भगवान ने गौतम स्वामी के प्रश्न के उत्तर में कहागौतम ! लेश्याएँ छः हैं! पनवणा सूत्र के ३४वें पद के दूसरे उद्देशक में लेश्या का जो वर्णन किया गया है, वह सब यहाँ समझ लेना चाहिए । वहाँ इस प्रकार का पाठ है:
प्र०-भगवन् ! लेश्याएँ कितनी हैं ? .. उ०-गौतम ! लेश्याएँ छः है-शुक्ल लेश्या से कृष्ण लेश्या तक।
'प्र०-भगवन ! नैरथिक के कितनी लेश्याएँ हैं ? उ०-गौतम । तीन हैं।