________________
/ ६७९ ]
मनुष्य-वर्णन
यहाँ गौतम स्वामी के भगवान् से लेश्याओं की संख्या के संबंध में प्रश्न किया है। भगवान् ने उत्तर दिया- गौतम ! लेश्याएँ छः हैं । वे इस प्रकार हैं: - कृष्ण, नील, कापोत, तेजो, पद्म और शुरु | इनमें से एक-एक लेश्या में संख्यात असंख्यात स्थान हैं ।
WA
यहाँ यह आशंका की जा सकती है कि लेश्याओं के -स्थान असंख्यात असंख्यात क्यों है ? अनन्त या संख्यात क्यों नहीं है ? इसका समाधान यह हैं कि जिस स्थान में जीव जाता है, वहां के योग्य वेश्या ही उसमें श्राती है और उस लेइयां से हो स्थितिबंध होता है । श्रायु के समाप्त होने पर वह लेश्या अन्तर्मुहूर्त में बदल जाती है । अर्थात् जिस लेश्या में श्रायुबंध होता है, मरकर उसी लेश्या में जीव जाता है ।
"
जीव को नियत स्थान पर उत्पन्न होने के लिए कौन ले जाता है ? जीव ने तो नरक या स्वर्ग देखा नहीं है, फिर उसे कौन वहां पहुँचाता है ? सातवें नरक के नीचे से मरकर पृथ्वीकाय का जीव सिद्धशिला तक पहुँच जाता है । उसे क्या मालूम कि मुझे कहाँ जाता है और क्या करना है ? श्रतएव जीवों को नियत स्थान पर पहुँचाने वाला कोई दूसरा होना चाहिए | वह कौन ?
·
.
इस प्रकार के प्रश्नों का ठीक-ठीक उत्तर न दे सकते वालों ने ईश्वर के जिम्मे पर यह काम सौंप दिया है, वे कहते हैं, स्वर्ग या नरक में भेजने वाला ईश्वर के सिवाय और कौन हो सकता है ? बिना राजा की आशा के न कोई जेल में जाता हूँ, न उसके महल में प्रवेश कर सकता है। कहा भी है: