________________
श्रीभगवती सूत्र
[६७०] .
ज्योतिष्क और वैमानिकों में असंही जीव उत्पन्न नहीं: होते । इस लिए इनकी वेदना असुरकुमारों की तरह नहीं कहनी चाहिए । ज्योतिषी देवों के दो भेद हैं-मायी-मिथ्यादृष्टि-उपपन्नक और असायी-सम्यग्दृष्टि-उपपन्नक । मिथ्याष्टि को कम वेदना होती है और सम्यग्दृष्टि को अधिक वेदना होती है । मगर सम्यग्दृष्टि की वेदना शुभ रूप है, शातारूप है अशुभ रूप नहीं है।